Home मेरठ कौशलपूर्ण शिक्षा का मूर्त रूप ‘उमंग दीपावली हाट’

कौशलपूर्ण शिक्षा का मूर्त रूप ‘उमंग दीपावली हाट’

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विद्या भारती भावी वर्तमान पीढ़ी को शिक्षा प्रदान करने के साथ सामाजिक सहयोग, समरसता, कर्तव्यभाव विकसित करते हुए रोजगारपरक शिक्षा भी प्रदान कर रहा है। इन्हीं सब उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विद्या भारती अनेक योजनाएं संचालित करता रहता है, जिसमें से एक है विद्यालय स्तर पर मेले का आयोजन। विद्या भारती की इसी योजना से प्रेरित होकर दुर्गावती हेमराज टाह सरस्वती विद्या मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन नरेंद्र कश्यप जी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर प्रदेश सरकार औऱ विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डोमेश्वर साहू जी ने किया। मेले में खरीदारी करने के साथ आगंतुक विद्यार्थियों से संवाद भी करते दिखे। मेले का आकर्षण प्रमुख रूप से ढोल फॉर आल, फूड कोर्ट, म्यूजिकल चेयर, जादू शो, राजस्थानी और हरियाणवी लोकनृत्य, गेम्स जोन जिसमें 12 खेल पॉइंट थे आदि रहे। श्रीमान यतीन्द्र जी, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री विद्या भारती ने भी मेले का भ्रमण किया। विद्यार्थियों ने दीपावली मेले के माध्यम से विभिन्न परिस्थितियों को नियंत्रित करना, भिन्न-भिन्न लोगों से बात करना, संयम जैसे अनेक प्रकार के गुण सीखे जो व्यावहारिक जीवन के लिए उपयोगी होंगे। मेले के उपरान्त प्रत्येक छात्र को उनसे लिए गए 500 रुपये व आय से प्राप्त प्रत्येक के लिए 110 रुपये कुल 610 रुपये दिए। इस मेले के माध्यम से विद्यालय महानगर के शिक्षा जगत, प्रशासन व अन्य विद्यालयों के संपर्क में आया। करीब 15 हजार लोगों ने मेले का भ्रमण किया। मेले में जो छात्र पिछले वर्षों में पास होकर गए थे वे तो आये ही लगभग 20 साल पहले जो छात्र पास होकर गए थे वे भी अपने परिवार सहित आए। शहर में रहने वाले विद्यालय के पूर्व छात्र-छात्राओं का संपर्क एक-दूसरे से संपर्क हुआ।

मेले की योजना, नामकरण एवं बजट

मेला लगाने के विचार के साथ यह बात तय हुई कि छात्रों को ही मेला लगाने की पूरी जिम्मेदारी दी जाए। छात्र विद्यालय स्तर पर बनी वस्तुओं को स्वयं मेले में बेचें और स्वयं अपने स्टाल लगाएं।

आचार्य केवल मॉनिटरिंग करें और आवश्यकता पड़ने पर छात्रों का सहयोग करें। मेले का नाम ‘उमंग दीपावली हाट’ रखा गया। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने अग्निशमन विभाग, यातायात विभाग और थाने से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद मेला लगाने की अनुमति दे दी। मेले में टिकट का शुल्क 10 रुपये तय किया गया।

मेले का उद्देश्य – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का केंद्र बिन्दु छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है। इसका अर्थ है कि जब तक छात्र अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण करे तब तक वह आत्मविश्वास से परिपूर्ण, संवाद कौशल में निपुण, शारीरिक रूप से स्वस्थ व मजबूत, कुशल नेतृत्व करने वाला, विभिन्न परिस्थितियों में निर्णय करने में सक्षम, जीवन की चुनौतियों का मुकाबला करने में दृढ़ व तकनीकी रूप से कुशल बन जाना चाहिए। विद्यालय स्तर पर मेला उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति का सशक्त माध्यम लगा।

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