पायाभूत जीवन कौशल्यावर आधारीत शिक्षण देण्याची व्यवस्था होणार – भाई उपाले
नागपूर : राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरणानुसार या पुढे वय वर्ष ३ ते ८ या वयोगटात मुलांना मोटर developing कौशल्य, भाषा विकास व गणन विकास या पायाभूत जीवन कौशल्यावर आधारीत शिक्षण देण्याची व्यवस्था होणार आहे असे प्रतिपादन विद्या भारतीचे महाराष्ट्र आणि गोव्याचे शिशुवाटीका संयोजक भाई उपाले यांनी केले. स्थानिक केशवनगर सांस्कृतिक सभा द्वारा संचालित विद्या भारती संलग्नित सरस्वती शिशु मंदिर नंदनवनच्या मातृसम्मेलन प्रसंगी ते बोलत होते. वय ३ ते ६ या काळात मुलांचा अनौपचारिक भाषिक कौशल्ये व अनुभव, क्रिया आधारीत गणिताचा विकास होईल असे शिक्षण मिळेल. घर व शाळा या दोन्ही घटकांनी मुलांच्या या विकासाकडे सजगतेने लक्ष्य द्यावे असेही ते म्हणले. याप्रसंगी मंचावर प्रधानाचार्या सौ. संध्या अग्निहोत्री उपस्थित होत्या. मातृसंमेलनात मोठ्या संख्येत माता पालकांची उपस्थिती होती. कार्यक्रमाची सुरुवात सरस्वती वंदना झाली आणि शांती मंत्राने कार्यक्रम संपला. कार्यक्रमात वैयक्तिक गीत पुष्पाताई बाविस्कर यांनी गायिले. कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन अश्विनीताई बोरकर यांनी केले तर विद्या भारतीच्या प्रांत शिशुवाटिका सहप्रमुख श्रीमती वर्षाताई ताठे यांनी परिचय करून दिला. आभार प्रदर्शन संध्याताई अनिहोत्री यांनी केले. शांती मंत्रानंतर कार्यक्रम संपला.
हिन्दी अनुवाद
बुनियादी जीवन कौशल के आधार पर होगी शिक्षा की व्यवस्था-भाई उपले
बुनियादी जीवन कौशल के आधार पर होगी शिक्षा की व्यवस्था-भाई उपले
नागपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार मोटर विकास कौशल, भाषा विकास और संख्यात्मक विकास जैसे बुनियादी जीवन कौशल के आधार पर 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था होगी, भाई उपले, महाराष्ट्र ने दावा किया और विद्या भारती के गोवा किंडरगार्टन समन्वयक।
वे स्थानीय केशवनगर सांस्कृतिक सभा द्वारा आयोजित विद्या भारती से संबद्ध सरस्वती शिशु मंदिर नंदनवन के मातृसम्मेलन के अवसर पर बोल रहे थे। 3 और 6 वर्ष की आयु के बीच, बच्चों को ऐसी शिक्षा प्राप्त होगी जो अनौपचारिक भाषा कौशल और अनुभव, गतिविधि-आधारित गणित विकसित करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि घर और स्कूल दोनों को बच्चों के विकास पर ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर मंच पर प्रधानाध्यापिका संध्या अग्निहोत्री मौजूद रहीं। बैठक में बड़ी संख्या में अभिभावक शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई और समापन शांति मंत्र से हुआ।
कार्यक्रम में पुष्पताई बाविस्कर ने व्यक्तिगत गीत गाया। कार्यक्रम का संचालन अश्विनीताई बोरकर ने किया जबकि परिचय विद्या भारती के प्रांत नर्सरी स्कूल की सह प्रमुख श्रीमती नशादाई ताठे ने दिया।
धन्यवाद ज्ञापन संध्याताई अनिहोत्री ने किया। शांति मंत्र के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।