नैनीताल। अखिल भारतीय खेलकूद विभाग की समीक्षा बैठक 21-22 मार्च को पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती सीनियर सेकेंडरी स्कूल नैनीताल में संपन्न हुई। बैठक में श्री श्रीराम आरावकर , श्री राजेंद्र सिंह , श्री हेम चंद्र , राष्ट्रीय खेल संयोजक श्री मुखतेज सिंह बदेशा और खेल विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख एवं सदस्य उपस्थित रहे। इस दौरान विगत बैठक की कार्यवाही का अनुमोदन किया गया और 2022-23 में संपन्न अखिल भारतीय खेल प्रतियोगिताओं का वृत्त प्रस्तुत किया गया।
प्रमुख निर्णय
- 10 मिनट की व्यायाम श्रृंखला को आग्रहपूर्वक सभी विद्यालयों में लागू कराना।
- सभी विद्यालयों में बैटरी टेस्ट वर्ष में दो बार अनिवार्य कर रिकॉर्ड रखना तथा विद्यालय छोड़ते समय छात्रों को उपलब्ध कराना।
- प्रांतीय / क्षेत्र स्तर पर महिला निर्णायकों के प्रशिक्षण वर्ग अनिवार्यतः लगाकर उनकी संख्या बढ़ाना।
- अखिल भारतीय प्रतियोगिता में सहभागिता करने वाले खिलाड़ियों को संचलन का अभ्यास कराना।
- प्रांत-क्षेत्र में खेलो इंडिया की एकेडमी बनाए जाने लायक विद्यालयों की सूची बनाना तथा उनका प्रत्यक्ष निरीक्षण कर उनके नाम केंद्रीय कार्यालय को भेजना।
- ऐसे छात्र जो व्यक्तिगत खेलों में बहुत अच्छा कर रहे हैं, उनकी पहचान साईं के अधिकारी बुलाकर करना ताकि ठीक से प्रशिक्षण कराया जा सके।
- इस वर्ष ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण वर्ग बास्केटबॉल (मध्य क्षेत्र), कबड्डी (पश्चिम उत्तर प्रदेश), खो-खो (राजस्थान क्षेत्र), जूडो (मध्य क्षेत्र) और कुश्ती (पूर्वी उत्तर प्रदेश) में आयोजित किए जाएंगे।
- अगर सत्र 2022 और 23 की स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है तो विद्या भारती के अंडर-19 के खिलाड़ियों को सहभागिता हेतु भेजा जाएगा। अंडर-17 के छात्र केवल एथलेटिक्स में भाग लेंगे।
- फिट इंडिया स्कूल में जिन विद्यालयों का पंयन होना अभी शेष है अति शीघ्र उनका पंयन कराना तय किया गया।
- विद्या भारती के सभी विद्यालयों के खेल या शारीरिक के आचार्य-दीदियों का एक ऑनलाइन प्रशिक्षण शीघ्र फिट इंडिया के प्रशिक्षकों द्वारा कराया जाएगा।
- परंपरागत खेलों का अभिलेख तैयार करने के लिए बैठक आयोजित की जाएगी।
- आगामी सत्र में 35 खेलों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया गया तथा उसके क्षेत्र तय किए गए।
- 2024-25 में विद्या भारती के खिलाड़ियों के लिए नया ट्रैक सूट डिजाइन किया जाएगा।
- विद्या भारती के सभी खिलाड़ियों को शुरू से ही सभी वर्गों में अपने अभिलेखों के साथ जन्म प्रमाण-पत्र लगाना अनिवार्य किया गया।
और पढ़ें : सुलेख प्रयोग
[…] […]