प्रत्येक विद्यालय में मातृ भारती, कन्या भारती का गठन आवश्यक : मंजू मानव
बालिकाओं की रुचि अभिरुचि, स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी सर्वेक्षण भी किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य एवं सुरक्षा परिषद, ललितकला परिषद, परिवार परिषद एवं समाज जागरण परिषद के निर्माण पर भी बल जाना चाहिए। ये विचार बहन मंजू मानव जी, बलिक्षा शिक्षा संयोजिका विद्या भारती हरियाणा, ने ऑनलाइन प्रांतीय बालिका शिक्षा प्रमुखों की बैठक दिनांक 24 मई 2023 में कहे। साथ ही उन्होंने कहा कि “सुनो बेटी” प्रकल्प के आधार पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बालिका शिक्षा पाठ्यक्रम में से पेज नंबर 53 पर दिए गए विषयों के अनुसार गतिविधि सुनिश्चित की जाए। इस बैठक में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र की योजना बैठक 12 से 13 मई 2023 (जालंधर) की बिन्दुओं की जानकारी भी सभी के समक्ष रखी।
2025 तक प्रत्येक विद्यालय अपने टोली में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं से व्यक्तिगत बातचीत द्वारा न्यूनतम 2 बहनों को जोड़े। हमारे कार्य का केंद्र विद्यालय ही है; इसके लिए विद्यालय स्तर पर बालिका शिक्षा संयोजिका तथा सह संयोजिका दोनों ही तय की जानी चाहिए। अपने कार्य को सर्वव्यापी, सर्वग्राही, सर्वसम्मति बनाने हेतु विद्यालय, अभिभावक, विद्वत जन, पूर्व छात्र तथा पूर्व आचार्य द्वारा सामूहिक प्रयास किया जाए। प्रत्येक विद्यालय अपने कार्यक्रम व गतिविधियों की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी डालें ताकि विषय का प्रचार प्रसार बढ़े। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वर्णित बालिका शिक्षा से संबंधित विषयों का अध्ययन आवश्यक है एवं कौशलों को अपने विषय के साथ भी एकीकृत किया जाए। कम से कम 2 कौशल पाठ्यक्रम के साथ-साथ रुचि और संसाधनों की उपलब्धता में विकसित करने की योजना भी प्रत्येक विद्यालय में होनी चाहिए।
श्रीमती निर्मल पोपली जी, सह-संयोजिका विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने विषय के उपरोक्त बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि शिशु वाटिका की माताओं को भी बालिका शिक्षा गतिविधियों व कार्यक्रमों में जोड़ा जाए ताकि एक स्वस्थ बालिका का निर्माण हो सके। समय-समय पर विद्यालय में स्वास्थ्य संबंधी जांच शिविर का आयोजन किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी कार्यपद्धती ऐसी होनी चाहिए जिससे सभी विषय का महत्त्व समझे।
समय-समय पर प्रधानाचार्य से विषय की चर्चा करना आवश्यक है। यदि किसी आचार्य दीदी को ऐसा लगता है कि उन्हें किसी के प्रवास की आवश्यकता है तो वह हरियाणा प्रांत संयोजिका सह संयोजिका तथा प्रभारी किसी से भी बात करके अपने विद्यालय में प्रवास करवा सकती हैं। बालिकाओं को विभिन्न त्योहारों पर बनाए जाने वाले व्यंजनों का वैज्ञानिक महत्व भी बताना जाना चाहिए। मंगल गीत संग्रह, रसोई घर एक औषधालय पर्यावरण संरक्षण, महिला एवम् कानूनी अधिकार आदि विषय बालिकाओं को प्रोजेक्ट के रूप में दिए जा सकते हैं। उससे एक अच्छा संग्रह विद्यालय को प्राप्त होगा। कन्या शिविर, बालक बालिका शिविर, सरस्वती यात्रा, अनुभव आधारित शिक्षण तथा समय-समय पर किशोरियों से ज्वलंत समस्या पर चर्चा की जानी आवश्यक है। यदि किसी भी आचार्य दीदी को विषय के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई आती है तो वह बेझिझक किसी से भी चर्चा कर सकती हैं।
श्रीमती राजवीज जी-उपाध्यक्ष विद्या भारती हरियाणा ने उपरोक्त सभी बिंदुओं का समर्थन करते हुए कहा कि उपरोक्त सभी आगामी सत्र हेतु क्रियान्वयन के न्यूनतम बिंदु हैं यह सभी लागू किए ही जाने चाहिए तथा विषय को सुदृढ़ बनाने हेतु स्वाध्याय भी आवश्यक है। हिंदू शिक्षा समिति से स्वाध्याय हेतु पुस्तकें जैसे कि किशोरी का समग्र विकास, बालिका शिक्षा पाठ्यक्रम व निर्देशिका तथा संवर्धनी जैसी पुस्तकों को मंगवाया जा सकता है तथा उन्हें हम अपनी लाइब्रेरी में रखें ताकि सभी दीदियां तथा छात्राएं उसे पढ़ सके।
इस कार्यशाला में श्रीमती सरोज सैनी जी-बालिका शिक्षा प्रभारी विद्या भारती हरियाणा, श्रीमती सुमन बाला-सह संयोजिका बालिका शिक्षा भी उपस्थित रही इस बैठक में कुल 41 बालिका शिक्षा प्रमुखों ने भाग लिया।
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