संस्कृति बोधमाला पुनर्लेखन अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन
जीवन व्यवहार में आए संस्कृतिः श्री अवनीश भटनागर
आठ प्रदेशों से प्रतिनिधियों की रही प्रतिभागिता
कुरुक्षेत्र। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में संस्कृति बोध परियोजना विषय को लेकर तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन 20 से 22 मई तक किया गया। विद्या भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री अवनीश भटनागर ने संस्कृति बोध परियोजना पुस्तक पुनर्लेखन कार्यशाला के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को समझाया। उन्होंने कहा कि संस्कार निर्माण संस्कृति के आधार के बिना संभव नहीं है। जीवन मूल्य हमारी संस्कृति के मूल तत्व हैं। आज नए स्वरूप में चीजों को नई पीढ़ी के सामने रखने की नितान्त आवश्यकता है। कुछ प्रश्नों के उत्तर याद कर लेना मात्र संस्कृति नहीं है। संस्कृति जीवन व्यवहार में आए। यदि यह जीवन व्यवहार में नहीं आ रही तो संस्कृति के कुछ तथ्यों को याद करने को हम बोध मान रहे हैं तो हमें अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है। हमारे विचार करने का आधार यहां से प्रारंभ होना चाहिए। पुस्तक पुनर्लेखन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति के बारे में नई पीढ़ी को अवगत कराना है।
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा विद्यार्थियों तक पहुंचे, इस हेतु पाठ्यक्रम का निर्माण किया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी देश बोध, समाज बोध, संस्कृति बोध एवं अध्यात्म बोध की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी, सचिव श्री वासुदेव प्रजापति विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में आठ प्रदेशों से 27 प्रतिनिधि शामिल रहे। दिल्ली, बिहार, पंजाब हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश से संस्कृति बोध परियोजना के विषय संयोजक श्री दुर्ग सिंह राजपुरोहित, श्री राघवेन्द्र शुक्ल, श्री अजय तिवारी, श्री राजकुमार, श्री अंबिकादत्त कुंडल, श्री विवेक नयन, श्री यशपाल, श्री गोपाल माहेश्वरी मौजूद रहे।
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