राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल हैं राष्ट्रीय मूल्य और परंपराएं- इंदुमती काटदरे
भोपाल । पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति इंदुमती काटदरे ने कहा कि NEP 2020 में हमारे राष्ट्रीय मूल्य, परंपराएं और चिंतन शामिल हैं। अभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रारंभिक अवस्था है और आने वाले वर्षों में इस नीति के व्यापक क्रियान्वयन से अच्छे और प्रभावी परिणाम आएंगे। विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान हर्षवर्धन नगर भोपाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं शिशु शिक्षा की भारतीय संकल्पना पर 17 जनवरी को आयोजित व्याख्यान में इंदुमती काटदरे ने कहा कि शिक्षा का संबंध जीवन विकास से है। गर्भाधान से ही शिक्षा प्रारंभ हो जाती है और जीवन के विकास का बीजारोपण हो जाता है। 5 वर्ष तक की अवस्था में शिशु संस्कारों का संगोपन ठीक प्रकार से होना चाहिए। बालक की प्रथम गुरु माता होती है और शिशु के विकास की शुरुआत घर से होती है। विद्या भारती की शिशु वटिका भारतीय दर्शन एवं मनोविज्ञान पर आधारित है।
इसका सूत्र “लालयेत् पञ्च वर्षाणि ताडयेत् दशवर्षाणि। प्राप्ते सम्प्राप्ते षोडशे वर्षे पुत्रं मित्र समाचरेत।” अर्थात् 5 वर्ष की आयु तक बच्चों का लालन-पालन उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए भयमुक्त वातावरण में प्रेरणादाई शिक्षा के माध्यम से करना चाहिए। घर और विद्यालय में इस उम्र का शिशु व्यवहार और मनोभावों से सीखता है। बच्चों में सीखने की स्वाभाविक इच्छा उनके अंतःकरण में होती है और वह अनुकरण से सीखते हैं। शिक्षकों का हृदय मातृ हृदय होना चाहिए।
10 वर्षाणि ताड़येत अर्थात् शिशु अवस्था के अगले 10 वर्षों में नियम, संयम, आज्ञा पालन, इंद्रिय संयम, मन की शिक्षा और अनुशासन का पालन आवश्यक है। विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रविंद्र कान्हेरे, श्री बनवारी लाल सक्सेना, श्री श्रीराम जी आरावकर अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री विद्या भारती, शशिकांत फड़के ग्रामीण शिक्षा राष्ट्रीय सहसंयोजक, श्री भालचंद रावले क्षेत्रीय संगठन मंत्री, श्री निखिलेश महेश्वरी प्रांत संगठन मंत्री, श्री शिरोमणि दुबे प्रांत सचिव, प्रोफेसर नीलाभ तिवारी सचिव मध्य भारत प्रांत आदि उपस्थित रहे।
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