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दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा के लिए मील का पत्थर हैं एकल विद्यालय

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Ekal vidyaalay are a milestone for education in remote and border areas

दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा के लिए मील का पत्थर हैं एकल विद्यालय

आर्यन बेल्ट, कारगिल। जम्मू कश्मीर के दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों की शिक्षा के लिए मील का पत्थर बने हैं एकल विद्यालय। देशभर में विद्या भारती का कार्य शिक्षण संस्थानों के रूप में विभिन्न प्रकार से है। औपचारिक शिक्षा के लिए विद्यालय, अनौपचारिक शिक्षा के रूप में सेवा बस्ती में संस्कार केंद्र तथा दूरस्थ, सीमावर्ती, तटीय व संवेदनशील क्षेत्रों में एकल विद्यालय के रूप में शिक्षा केंद्रों का संचालन विद्या भारती के मार्गदर्शन में होता है।

कार्य की संभाल की दृष्टि से विद्या भारती के वरिष्ठ अधिकारी जाते रहते हैं। श्री हेमचन्द्र, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, उत्तर क्षेत्र व अखिल भारतीय मंत्री (वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश संगठन मंत्री) विद्या भारती का प्रतिवर्ष (२००७-२०१९) एक बार वहाँ जाना होता रहा है। सन २०११-१२ में लद्दाख प्रवास के दौरान एक बैठक में श्री हेमचन्द्र जी का रहना हुआ जिसमें एकल विद्यालयों का संचालन करने वाले आचार्य, दीदी व कार्यकर्त्ता सहभागी हुए। उस बैठक में एकल विद्यालयों की स्थिति को लेकर चर्चा हुई। एकल विद्यालयों की गत वर्ष व वर्तमान की स्थिति, संचालन में आने वाले कठिनाइयाँ व उनका समाधान इस पर विचार विमर्श हुआ।

बैठक के अंत में श्री हेमचन्द्र जी ने सबके सामने प्रश्न रखा कि इन एकल विद्यालयों की क्या उपलब्धि है। बैठक में कुछ समय तक सन्नाटा रहा। जब कोई उत्तर नहीं आया तो श्री हेमचन्द्र जी ने कहा कि जब एकल विद्यालयों की कोई उपलब्धि नहीं है तो इन्हें क्यों चलाना। देशभर से परिश्रम पूर्वक समाज संपर्क कर राशि एकत्र करके एकल विद्यालयों के संचालन के किए यहाँ भेजी जाती है। समाज के बंधु-भगिनी राशि का सहयोग करते हैं वे यह भी अपेक्षा करते है कि इस राशि का ठीक उपयोग हो।

थोड़े समय बाद एक दीदी खड़ी हुई और कहती है कि मैं बताती हूँ एकल विद्यालयों की क्या उपलब्धि है। उस दीदी ने कहा कि हम आपके सामने बैठे हैं तो एकल विद्यालय के कारण बैठे हैं।

मैं जहाँ एकल विद्यालय चलाती हूँ मेरा वह गाँव बटालिक सेक्टर में एक दम पाकिस्तान के रेंज में है। वहां हर दिन फायरिंग होती रहती है। उसके कारण से कभी हमारे पशु मरते हैं तो कभी व्यक्ति भी मरते हैं या घायल हो जाते हैं। एकल विद्यालय चलाने से पहले मेरे ही नहीं मेरे जैसे सभी युवाओं के मन में विचार आते थे कि हमारा भी कोई जीवन है। क्यों न हम इस गाँव को छोड़कर जम्मू अथवा चंडीगढ़ जैसे नगरों में चले जाएं। हम वहाँ मेहनत-मजदूरी कर जीवन यापन लेंगे। वहाँ हम और हमारे बच्चे सुरक्षित तो रहेंगे व हमारे बच्चे पढ़ भी लेंगे। लेकिन एकल विद्यालय प्रारम्भ होने पर आप लोगों की बातें सुनने के बाद नियमित रूप से हमारे प्रशिक्षण में देशभक्ति गीत, महापुरुषों की कहानियां सुनने व एकल विद्यालय में बच्चों को सुनाने के बाद अब हमारे पूरे गाँव में ऐसा वातावरण है कि हम मर जाएंगे मिट जायेंगे लेकिन हम अपने गाँव को छोड़कर नहीं जायेंगे। हम गाँव छोड़ देंगे तो हमारे गाँव में पाकिस्तानी आकर बैठ जायेंगे और हमारा भारत देश छोटा हो जायेगा।

हमारे क्षेत्र के बालकों को शिक्षा व संस्कार मिल रहे हैं तो एकल विद्यालय के कारण है। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस व 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर हमारे गाँव में तिरंगा फहराया जाता है तो एकल विद्यालय के कार्यक्रम के कारण होता है। यहां ‘भारत माता की जय’ बोली जाती है तो एकल विद्यालय के कारण बोली जाती है। ऐसा देशभक्ति का वातावरण एकल विद्यालयों के कारण ही हुआ है। अब यदि आपको लगता है कि एकल विद्यालयों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है तो यहाँ के एकल विद्यालयों को बंद कर सकते हैं। बैठक का पूरा वातावरण भावुक व देशभक्ति पूर्ण हो गया और मन ही मन सभी ने इस देशभक्ति पूर्ण व ईश्वरीय कार्य को और अधिक दृढ़ता से करने का संकल्प लिया।

वास्तव में एकल विद्यालय दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों की शिक्षा के लिए मील का पत्थर बन रहे हैं।

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