कोटा। स्वामी विवेकानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय महावीरनगर तृतीय कोटा में विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र ने सात दिवसीय विशेष प्रधानाचार्य दक्षता शिविर का आयोजन किया। मुख्य वक्ता श्री दिलीप बेतकेकर, पूर्व उपाध्यक्ष विद्या भारती ने कहा कि उपनिषदों में दी गई पंचकोशीय विकास की अवधारणा ही समग्र व्यक्तित्व विकास है। पर्सनालिटी शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि यह परसोना शब्द से बना है। इसका अर्थ मुखौटा होता है। अतः व्यक्तित्व विकास की पश्चिमी अवधारणा बाहरी प्रदर्शन है जबकि मनुष्य के अंतर निहित क्षमता एवं सद्गुणों का विकास ही भारतीय अवधारणा है।
भारत एक सनातन संस्कृति वाला देशः डॉ. संतोष आनंद
डॉ संतोष आनंद अखिल भारतीय सह मंत्री, विद्या भारती ने कहा कि भारत एक सनातन संस्कृति वाला देश है। भारतीय समाज का विकास वैज्ञानिक एवं तार्किक ज्ञान के आधार पर हुआ है। भारतीय समाज ज्ञान केंद्रित रहा है। युगानुकूल समाज रचना में शिक्षकों की भूमिका हमेशा महत्त्वपूर्ण रही है क्योंकि उन्होंने आक्रांताओं के भीषण अत्याचारों के बावजूद भी संस्कृति को नष्ट नहीं होने दिया और अपनी ज्ञान परंपरा बचाये रखी है। भारतीय समाज ने हमेशा संस्कृति और समृद्धि को बराबर स्थान दिया है। विद्या भारती राष्ट्र को समर्थ बनाने के लिए भारतीय वैचारिक अधिष्ठान को लेकर राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए कार्य कर रही है। हमारा विश्वास है कि ज्ञान के आधार पर ही भारत पुनः विश्वगुरु बन सकेगा।
समाज का दीप स्तंभ बने विद्यालयः शिवप्रसाद जी
विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री शिव प्रसाद ने कहा कि विद्यालय मात्र शिक्षा का केंद्र नहीं, अपितु सामाजिक परिवर्तन का केंद्र भी बने। प्रधानाचार्यो को विभिन्न कार्यक्रमो के माध्यम से छात्रों, अभिभावकों एवं नागरिकों में सामाजिक चेतना जाग्रत करनी चाहिए। चेतना का स्तर भी व्यक्तित्व का मापदंड होता है।
विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के सह संगठन मंत्री श्री गोविंद कुमार ने कहा कि तकनीकी साधन शिक्षक का स्थान नहीं ले सकते, क्योंकि तकनीक बालकों का मन एवं हदय को पढकर बदल नहीं सकती। शिक्षक को छात्र के मन को समझकर शिक्षण करना चाहिए। श्री महेंद्र कुमार दवे ने कहा कि अयोग्य को योग्य बनाना ही शिक्षक का कार्य है। यह तभी संभव है जब शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित हो।
भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाएं- रवि कुमार
विद्या भारती जोधपुर प्रांत के संगठन मंत्री श्री रवि कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान का स्रोत भारत का समृद्ध साहित्य, वेद, पुराण, उपनिषद् जैसे ग्रंथ रहे हैं। अंग्रेजो ने भारतीय साहित्य के बारे में भ्रम पैदा करते हुए मिथक बनाने का प्रयत्न किया, जिसके फलस्वरूप आज भी अपने समृद्ध ज्ञान एवं साहित्य को इतिहास एवं प्रमाणित संदर्भ पुस्तकों के रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा है। विद्या भारती भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है।
वर्ग प्रबंध प्रमुख व प्रधानाचार्य डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि शिविर में विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के चयनित 48 प्रधानाचार्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के प्रचार प्रमुख नवीन कुमार झा, वर्ग पालक प्रमिला शर्मा जी, विद्या भारती राजस्थान क्षेत्र के अध्यक्ष श्री भरतराम आदि उपस्थित रहे।
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