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पुलकेशी जानी की पुस्तक ‘दादाजी नी वातो’ को गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार

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Pulakeshi Jani's book 'Dadaji Ni Vaato' gets Gujarat Sahitya Akademi Award

पुलकेशी जानी की पुस्तक ‘दादाजी नी वातो’ को गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार

गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर ने विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद के क्षेत्र संयोजक व गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के समाज और विकास अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पुलकेशी जानी की पुस्तक ‘दादाजी नी वातो’ को श्रेष्ठ पुस्तक के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल ने पुरस्कृत किया तथा पारितोषिक प्रदान किया। डॉ. पुलकेशी जानी ने ग्रामीण समाज में न्याय कैसे होता था, इसकी मौखिक परंपरा में लोकप्रिय जीवन के संघर्षों और समस्याओं को सुलझाने के तरीके के रूप में अपने दादाजी से दर्ज लोककथाओं पर अध्ययन किया है। लोकगीत, समाजशास्त्र और सामाजिक कार्य के विषय को स्पर्श करते हुए लोककथाओं के इस संग्रह को गुजराती लोकगीत के अरविंद बारोट, राजेश मकवाना, समाजशास्त्र के विद्वान विद्युत जोशी, गौरांग जानी और बहुविषयक क्षेत्र के सामाजिक कार्य के प्रोफेसर रमेश वाघानी ने सराहना की है। गुजरात साहित्य अकादमी ने इस प्रकाशन को शास्त्रीय और गुजराती ज्ञान परंपरा का सर्वोत्तम उदाहरण मानते हुए तीसरे पुरस्कार के लिए चुना है।

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