22 लाख विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने पढ़ी और जानी भारतीय संस्कृति
कुरुक्षेत्र | 6 मार्च 2024 । विद्या भारती के अध्यक्ष श्री रामकृष्ण राव ने कहा कि संस्कृति के प्रति निष्ठा बढ़ाने के लिए समाज में बहुत कुछ करना बाकी है। समाज में भारतीय संस्कृति का व्याप बढ़ाने के लिए मंदिरों के ट्रस्टियों व मातृशक्ति का सहयोग लिया जा सकता है। भारतीय संस्कृति के प्रचारक बनकर जो इस क्षेत्र में कार्य कर सकें उनका स्वागत है।
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान की कार्यकारिणी एवं महासमिति की बैठक को संबोधित करते हुए डी. रामकृष्ण राव ने कहा कि संस्कृति के व्याप हेतु समाज में सेवा अभियान की भी आवश्यकता है। इसमें क्षेत्र संयोजक आवश्यक सहयोग दे सकते हैं।
संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कहा कि इसी पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले पवित्र ग्रंथ गीता में वसुधैव कुटम्बकम् का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि इस सत्र में देशभर में लगभग 22 लाख छात्रों एवं अध्यापकों ने भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त की। निदेशक ने संस्कृति बोध अभियान, संस्कृति प्रवाह परीक्षा, अखिल भारतीय छात्र एवं आचार्य निबन्ध प्रतियोगिता, प्रकाशन विभाग, साहित्य बिक्री केन्द्र, अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव आदि के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि इस वर्ष संस्कृति बोधमाला पुस्तक पुनर्लेखन का कार्य भी किया गया है।
संस्थान के सचिव वासुदेव प्रजापति ने गत वर्ष की बैठक की कार्यवाही प्रस्तुत की। संस्थान के कोषाध्यक्ष डॉ. ज्वाला प्रसाद ने 1 अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक के आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया। सत्र 2024-25 के प्रस्तावित अर्थ संकल्प (बजट) और आगामी वर्ष की कार्य योजना पर विचार किया गया। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी, विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोबिन्द चन्द्र महंत, महामंत्री श्री अवनीश भटनागर, श्री यतीन्द्र शर्मा, संस्कृति बोध परियोजना के विषय संयोजक श्री दुर्ग सिंह राजपुरोहित आदि उपस्थित रहे। बैठक में हरियाणा, पंजाब, पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य भारत, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, झारखंड, केरल, असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक आदि से 35 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
और पढ़ें : जोधपुर में तैयार होंगे सेना के अधिकारी और खिलाड़ी, 9वीं से NDA की तैयारी