Home राष्ट्रीय शिक्षा नीति तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

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Conclusion of three day National Workshop on Sanskriti Bodh Project

संस्कृति बोधमाला पुस्तकें पढ़कर उत्पन्न होता है संस्कृति बोध एवं गौरव का भाव : अवनीश भटनागर

देशभर में आयोजित होने वाली संस्कृति ज्ञान परीक्षा एवं प्रश्न मंच हेतु प्रश्न संच का हुआ निर्माण
देशभर से विभिन्न राज्यों से 73 विशेषज्ञों ने की प्रतिभागिता

Conclusion of three day National Workshop on Sanskriti Bodh Project

कुरुक्षेत्र, 30 जुलाई। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 28 से 30 जुलाई तक आयोजित हुई कार्यशाला में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री अवनीश भटनागर, विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के सचिव वासुदेव प्रजापति, निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह एवं संस्कृति बोध परियोजना के विषय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित मंचासीन रहे। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कार्यशाला की जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला में देशभर में कक्षा 3 से 12 तक एवं अध्यापकों के लिए आयोजित होने वाली संस्कृति ज्ञान परीक्षा हेतु प्रश्न पत्रों का निर्माण किया गया साथ ही अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाले संस्कृति महोत्सव के लिए प्रश्न संच का निर्माण किया गया। यह प्रतियोगिता शिशु वर्ग, बाल वर्ग, किशोर वर्ग और तरुण वर्ग में आयोजित होती है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए देशभर से 73 प्रतिभागियों का धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में पहुंचने पर स्वागत किया। इस अवसर पर देशभर से आए प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री अवनीश भटनागर ने महत्वपूर्ण टिप्स दिए। अवनीश भटनागर ने कहा कि संस्कृति का बोध कराती संस्कृति बोधमाला पुस्तकों को पढ़कर प्रश्न पत्र निर्माण करते हुए संस्कृति बोध एवं गौरव का भाव उत्पन्न हुआ तो आपका सही मायनों में इस कार्यशाला में आना सफल हुआ। उन्होंने विभिन्न प्रश्नों से आए प्रतिभागियों का एक स्थान पर एकत्रित होने को अखिल भारतीय स्वरूप को अपने व्यक्तित्व के साथ एकाकार करना बताया। उन्होंने कहा कि यहां पर सभी ने कार्य पद्धति की अनेक नई बातें सीखीं, उन्हें वे अपने-अपने स्थानों पर भी क्रियान्वित करेंगे तो वास्तव में यह कार्यशाला सफल होगी। कुरुक्षेत्र दर्शन के पश्चात आए प्रतिभागियों से उन्होंने कहा कि दर्शन करने का उद्देश्य उस परम तत्व के प्रति श्रद्धा का भाव जागरण करना है। दर्शनार्थ हम जहां भी जाएं, उसके साथ अपना भावात्मक लगाव जोड़ने का होता है।
कार्यशाला का संचालन करते हुए दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने प्रश्न पत्र और प्रश्न संच निर्माण हेतु अलग-अलग समूह निर्माण किये। संस्थान के सचिव वासुदेव प्रजापति ने प्रश्न पत्र निर्माण करते हुए सुलेख मंे लिखना, वर्तनी की अशुद्धियां, प्रश्न क्रम का सरलता से कठिन की ओर, भाषा शैली का ध्यान रखना, स्मरण शक्ति से संबंधित प्रश्न सरीखी किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला के समापन पर प्रश्न पत्रों का वाचन किया गया और रह गई कमियों को मंचासीन अधिकारियों द्वारा सुझाव देकर ठीक किया गया। कार्यशाला में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ राज्यों से 73 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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