वर्तमान का प्रयोग करते हुए भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी करते हुए आगे बढ़ना शिक्षा का कार्य है। हमें जीवन मे परिवर्तन लाने वाली शिक्षा पद्धति को समाज में लेकर जाना है और निरन्तर प्रयोगशील बनना है। ये शब्द 21 से 25 जुलाई में सरस्वती बाल मंदिर हरिनगर में सम्पन्न हुए अखिल भारतीय चयनित पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता अभ्यास वर्ग में डी. रामकृष्णराव अखिल भारतीय अध्यक्ष ने उद्घाटन अवसर पर कहे। प्रास्ताविक भाषण में श्री ब्रह्माजी राव अखिल भारतीय मंत्री ने कहा कि पढ़ाई के पश्चात मालिक बनने की शिक्षा हो, नौकर बनने की नहीं। मालिक बनने के लिए प्रगाढ़ मानसिकता व निपुणता चाहिए।
वर्ग में विशेष रूप से मा. डॉ कृष्णगोपाल सह सरकार्यवाह का सान्निध्य प्राप्त हुआ। शैक्षिक कार्य एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दृष्टि से पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता की तैयारी कैसी चाहिए, इसके लिए क्या-क्या करना होगा, इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा के मौलिक दर्शन का ज्ञान बढ़ाना है। हमारी योग्यता-क्षमता का सदुपयोग इस कार्य के लिए हो, ऐसा विचार व प्रयास चलता रहे।

शैक्षिक कार्य देखने वाले पूर्णकालिक कार्यकर्त्ताओं के वर्ग के आयोजन का उद्देश्य भविष्य की शिक्षा जगत की आवश्यकताओं की पूर्ति एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की तैयारी की दृष्टि से उपस्थित समूह के प्रशिक्षण के उद्देश्य से था।
वर्ग में कुल 22 सत्रों में विद्या भारती, NCERT, CBSE, SCERT एवं विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों द्वारा संवादात्मक शैली में प्रतिभागियों के मार्गदर्शन किया गया। श्री अवनीश भटनागर अखिल भारतीय महामंत्री द्वारा जीवन का भारतीय प्रतिमान एवं हमारे लक्ष्य के अनुरूप विद्यालयीन गतिविधियां इन दो विषयों पर प्रभावी मार्गदर्शन किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एकीकृत कक्षा शिक्षण कैसा हो, इसका विशेष प्रशिक्षण श्री ए. लक्ष्मणराव जी द्वारा दिया गया। क्षमता विकास, संवाद कौशल, मूल्यांकन, डिजिटल लिटरेसी, पाठ विषयक प्रकल्प निर्माण, शिक्षकों का व्यावसायिक विकास, कौशल विकास, समग्र समन्वय आदि विषयों में प्रतिभागियों ने रुचिपूर्ण सहभागिता करते हुए प्रस्तोताओं के मार्गदर्शन में सीखा और अभ्यास किया। रात्रि स्वाध्याय सत्र में प्रतिभागियों को शैक्षिक साहित्य उपलब्ध करवाया गया जिसका अध्ययन शिक्षा विचार को पुष्ट करेगा। प्रातः स्मरण सत्र में विद्या भारती के आधारभूत विषयों (शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा) की प्रस्तुति दी गई।
देशभर से चयनित (52 वर्ष से कम, शैक्षिक कार्य देखने वाले एवं विभाग/प्रान्त स्तर) 143 पूर्णकालिक कार्यकर्त्ताओं में इस वर्ग ने प्रतिभाग किया।
