ईटानगर। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता व मुख्यमंत्री के सलाहकार ताई तगक को पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति (पीजेएसएस) ने प्रतिष्ठित कृष्णचन्द्र गांधी पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया है। गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति एक नागरिक संगठन है जो पूर्वोत्तर में जनजातीय समुदायों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए कार्य कर रहा है।
कृष्ण चंद्र गांधी पुरस्कार वर्ष 2007 से निरंतर पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा जनजातीय क्षेत्र में अनुपम सेवायें प्रदान करने वाले एवं पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के मुख्य उद्देश्य शिक्षादान को मूर्त रूप प्रदान करने व करवाने वाले कार्यकर्ता अथवा संस्था को प्रदान किया जाता है। स्वर्गीय कृष्ण चंद्र गांधी जी के व्यापक विचार अथक मेहनत एवं लगन के परिणाम स्वरूप विद्या भारती के प्रथम विद्यालय की स्थापना हुई। स्वर्गीय गांधी जी ने पूर्वोत्तर भारत के जनजाति समाज व वन अंचलो में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तीव्र गति से बढ़े, इसके लिए कई योजनाए बनाई तथा इन्हें मूर्त रूप प्रदान करवाने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण 25 वर्ष पूर्वोत्तर में कई बार भ्रमण कर जनमानस को शिक्षा दान के लिए प्रेरित कर कार्यकर्ताओं व दानदाताओं को जोड़ा एवं शिक्षादान के मशाल धारक बनकर समाज को ज्ञानवान बनाया। वर्ष 2007 से अबतक 15 श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति द्वारा कृष्णचन्द्र गांधी पुरस्कार समारोह का आयोजन सुदर्शनालय गुवाहाटी में किया गया। समारोह में असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में मुख्य वक्ता विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान नई दिल्ली के महामंत्री अवनीश भटनागर, त्रिपुरा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति व विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष प्रो. गंगा प्रसाद परसाईं जी, पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अध्यक्ष सदा दत्त व कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
समारोह में अवनीश भटनागर ने भाषण देते हुये कहा विद्या भारती शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत विश्व का सबसे बड़ा अशासकीय शिक्षा संस्थान है। विद्या भारती ने शिशु वाटिका शिक्षा पद्धति अनुभव के आधार पर विकसित की है। विद्या भारती शिक्षा के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास करते हुये देशभक्त नागरिक तैयार करने का कार्य करती है।
शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा हमें विचार करना चाहिए देश के लिये हम क्या कर रहे हैं। उन्होनें कहा शिक्षा का प्रथम स्थान घर होता है, उसके बाद समाज से शिक्षा प्राप्त होता है। उसके पश्चात ही पाठ्यपुस्तकों पर आधारित शिक्षा विद्यालयों में प्राप्त होती है। सामाजिक शिक्षा व पाठ्यपुस्तकों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के बीच की दूरियों को कम करने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति है।
पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति विगत वर्ष 2007 से शिक्षा क्षेत्र के कर्मयोगी समाजसेवकों को कृष्णचन्द्र गांधी पुरस्कार प्रदान कर रही है। ताई तागक जी को पुरस्कार में स्मृति चिन्ह, फूलोम गमछा, पुस्तकें, इरी चादर व एक लाख रूपये का चैक सम्मान स्वरूप प्रदान किया गया। ताई तागक जी ने सम्मान राशि कृष्णचन्द्र गांधी फाउण्डेशन हेतु दान की।