भारतीय शिक्षा परंपरा की साक्षी देने वाला प्रशिक्षण वर्ग प्रारंभ
नागपुर, 19 मई:
व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होना यह पाश्चात्य दृष्टिकोण है, जबकि शिक्षा का उद्देश्य विश्व के कल्याण, राष्ट्र की समग्र उन्नति और समाज को सत्य एवं धर्म के मार्ग पर ले जाना होना चाहिए। व्यक्ति का सर्वांगीण विकास इसके बाद आता है — ऐसा प्रतिपादन विद्या भारती के प्रांत संगठन मंत्री श्री शैलेश जोशी ने किया। वे आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
परंपरागत गरिमा और अत्यंत उत्साह के साथ संपन्न हुए इस भव्य समारोह में मंच पर उद्घाटक के रूप में श्री विश्व पुनर्निर्माण संघ के ट्रस्टी श्रीकांत देशपांडे, भारती कृष्ण विद्या विहार की मुख्याध्यापिका छाया चतुर्वेदी, विद्या भारती विदर्भ प्रांत के संगठन मंत्री शैलेश जोशी, पायाभूत स्तर की संयोजिका श्रीमती निर्मला महाजन तथा पूर्वतैयारी स्तर की संयोजिका सौ. प्रांजली जोशी उपस्थित थीं।
श्री शैलेश जोशी ने अपने उद्बोधन में विद्या भारती का परिचय देते हुए इसकी स्थापना कैसे और किस उद्देश्य से हुई, इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा का समावेश होना चाहिए। शिशु शिक्षा ही आगे की शिक्षा की आत्मा है। शिक्षक समाज के मार्गदर्शक होते हैं, और इस प्रशिक्षण वर्ग से जो आचार्य तैयार होंगे, वे नवभारत के शिल्पकार होंगे — यह उन्होंने विशेष रूप से रेखांकित किया।
श्रीकांत देशपांडे ने उद्घाटन की घोषणा करते हुए जानकारी दी कि पूजनीय शंकराचार्य भारती कृष्ण तीर्थ ने इसी पवित्र स्थल पर वैदिक गणित का अध्ययन और लेखन किया था। प्रशिक्षण वर्ग में शिक्षण तकनीक, मूल्य शिक्षा, विद्यार्थियों से संवाद कौशल, योगाभ्यास, भारतीय चिंतन और इतिहास पर आधारित विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इस उद्घाटन समारोह ने इस प्रशिक्षण वर्ग की शुरुआत केवल औपचारिक नहीं, बल्कि प्रेरणादायी भी बना दी है।
इस अवसर पर विद्या भारती के प्रांत सहमंत्री रोशन अगरकर, सुमेधा खोत, डॉ. संजय घाटाटे, निर्मला महाजन, वर्षा ताठे, जितेंद्र घोरदडेकर, ऋचा हळदे, अंकेश साहू, प्रवीण रणदिवे, दिलीप जोशी सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। प्रारंभ में स्वाती कुलकर्णी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, और आभार प्रदर्शन सीमा जोशी ने किया।






