विदर्भ क्षेत्र से 125 आचार्यों का पंजीकरण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रशिक्षण
नागपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भारत केंद्रित शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है। विश्वगुरु बनने की आकांक्षा रखने वाले भारत के लिए आज के विद्यार्थी ही भविष्य के भारत की नींव हैं। इसलिए विद्यार्थियों को उनके संस्कारशील आयु में — यानी पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा के दौरान — हिंदुत्व, देशभक्ति और भारतीय संस्कृति के मूल्यों की शिक्षा देना, यह शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों का कर्तव्य बनता है।
प्रौद्योगिकी के इस युग में आनेवाली पीढ़ी का निर्माण बहुत सोच-समझकर और निष्ठा से होना आवश्यक है। किसी भी देश का भविष्य स्कूल की कक्षा में ही आकार लेता है। यह निर्माण करते समय पाठ्यपुस्तकों की सामग्री के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा, योग, संगीत, संस्कृत और नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा जैसे आधारभूत विषयों के माध्यम से शिक्षण कराया जाना चाहिए — इस पर विद्या भारती विशेष ध्यान देती है। नई शिक्षा नीति के अनुसार कला और खेलों के माध्यम से कक्षा में शिक्षक क्या करें जिससे विद्यार्थियों की छिपी हुई प्रतिभाएं विकसित हो सकें, यह जानना जरूरी है।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ विभिन्न विषयों के माध्यम से सांस्कृतिक मूल्य कैसे पोषित किए जा सकते हैं, देशभक्ति कैसे रोपी जा सकती है — इस दृष्टिकोण से बुनियादी शिक्षा और पूर्व-तैयारी समूह को पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से भारती कृष्ण विद्या विहार, तेलंगखेडी, नागपुर में 18 मई से 29 मई तक 10 दिवसीय आवासीय आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया है।
एक आचार्य (शिक्षक) संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ होता है। यह प्रशिक्षण वर्ग इस उद्देश्य से आयोजित किया गया है कि शिक्षा को सेवा व्रत के रूप में स्वीकारने वाले श्रेष्ठ आचार्य तैयार हो सकें। प्रांत अध्यक्ष राम देशमुख और प्रांत प्रचार प्रमुख समीर थोडगे ने इस प्रशिक्षण वर्ग का अवलोकन करने का आह्वान किया है।






