अखिल भारतीय नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा बैठक
रायपुर । विद्या भारती के लक्ष्य में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा के विकास पर विशेष बल दिया गया है। संवेदनशीलता, मौलिक कर्तव्य, पर्यावरण जागरूकता, स्वच्छता, नैतिकता इस प्रकार के गुणों का उल्लेख किया गया है। अच्छे विचारा का संग्रह हो तथा आचरण में प्रकटीकरण हो। समय, परिस्थिति के अनुसार पाठ्यक्रम बदलते रहते हैं पर नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य कभी नहीं बदलते, ये शाश्वत हैं।
इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ के रायपुर में 11-12 नवंबर को नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा पर अखिल भारतीय बैठक का आयोजन किया गया। आकर्षक प्रवेश द्वार हो, बोध वाक्य लिखे हों, गुरुजनों को प्रणाम करते हुए छात्रों के चित्र बने हों, किसी कक्ष को नैतिक शिक्षा की दृष्टि से सुसज्जित करने का आह्वान किया गया। प्रकृति प्रेम, ईश्वर भक्ति, मित्रता, श्रम निष्ठा, दायित्व बोध, धैर्य, सत्यनिष्ठा आदि गुणों के विकास के लिए सतत प्रयास करने को कहा गया। बालक जब विद्यालय में प्रवेश लेता है तो आते समय उसके विचार क्या थे और जब वह विद्यालय से जाता है तो उस समय उसके विचार व सोचने की दृष्टि क्या है, इसे भी लिखना चाहिए।
बैठक में विशेष रूप से अखिल भारतीय मंत्री एवं विषय प्रभारी डॉ. मधुश्री साव, अखिल भारतीय संयोजक रविशंक शुक्ल, क्षेत्र संयोजक सुरेश सिंह, पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख संजीव दास, श्री सीताराम भट्ट क्षेत्र प्रमुख, पूर्वोत्तर क्षेत्र, श्री गोपाल मिस्त्री विश्वकर्मा क्षेत्र प्रमुख, उत्तर पूर्व,श्री एम. वेन्कटरमन राव क्षेत्र प्रमुख, दक्षिण मध्य, श्री रूद्र कुमार शर्मा क्षेत्र प्रमुख राजस्थान औऱ श्री राजेन्द्र सिंह प्रांत संयोजक दिल्ली, उत्तर क्षेत्र आदि उपस्थित रहे।
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