Home तेलंगाना संगीत विषय की अखिल भारतीय कार्यशाला

संगीत विषय की अखिल भारतीय कार्यशाला

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Akhil Bharatiya Workshop On Sangeet
Akhil Bharatiya Workshop On Sangeet

तेलगांना | विद्या भारती संगीत शिक्षा की अखिल भारतीय बैठक, दिनांक – 30 दिसम्बर 2022 से 01 जनवरी 2023 तक, स्थान – श्री शारदाचामम्, बंड्लगूठा जागीर, किस्मतपुरा रोड, राजेंद्रनगर मंडल, भाग्य नगर (हैदराबाद) तेलगांना में सम्पन्न हुआ।

बैठक में अखिल भारतीय संगीत शिक्षा संयोजक श्री विनोद द्विवेदी, एवं क्षेत्र व प्रान्त के संयोजक तथा सह संयोजक सहित 53 प्रतिभागी रहे। इस बैठक में श्री सुधाकर रेड्डी संगठन मंत्री दक्षिण मध्य क्षेत्र, डा. उमा महेश्वर राव-दक्षिण मध्य क्षेत्र अध्यक्ष श्री हेमचन्द्र जी क्षेत्रीय संगठन मंत्री, पूर्वी क्षेत्र श्री दिवाकर जी क्षेत्रीय संगठन मंत्री, पूर्व क्षेत्र, प्रो० तरफ पल्ली तिरूपति राव (पूर्व कुलपति) तथा श्री भगवतुता सुधाकर शर्मा (दक्षिण भारतीय संगीतज्ञ) का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

दीप प्रज्वलन व सरस्वती वन्दना के साथ बैठक प्रारम्भ हुई। मुख्य अतिथि महोदय ने सरस्वती वन्दना से प्रभावित होकर कहा कि देश के सभी विद्यालयों में इसी प्रकार से वन्दना सभा का आयोजन होना चाहिए, इससे देश में संस्कारक्षम वातावरण तैयार होगा। वन्दना सभा को सम्बोधित करते हुए श्रीमान् हेमचन्द्र जी ने कहा कि शिक्षा का काम केवल अक्षर ज्ञान तथा पाठ्यक्रम तैयार करना नहीं है। छात्रों में देशभक्ति तथा सद्-संस्कार से ओत-प्रोत शिक्षा का भाव जागाना विद्या भारती का उद्देश्य है। नानाजी देशमुख जैसे विचारकों ने इसी भाव के साथ 1952 में पक्कीबाग, गोरखपुर में विद्यालय की स्थापना की। विद्या भारती का उद्देश्य बालक का शारीरिक, प्राणिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास करना है। विद्या भारती के पांच आधारभूत विषयों में संगीत शिक्षा को प्रमुख स्थान दिया गया।

इस बैठक में गत सत्र के कार्यों की समीक्षा तथा आगामी सत्र के लिए अखिल भारतीय वार्षिक हिन्दी गीत तथा संस्कृत गीत निर्धारित किये गए। बैठक में कुल 30 गीतों का अभ्यास हुआ। आगामी सत्र के लिए कार्य योजना बनाई गई, जो कि निम्न है-

1. पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से विद्यालयों में हो।

2. वन्दना प्रमुख सभी विद्यालयों में होना आवश्यक है।

3. रंगमंचीय कार्यक्रमों में सीडी अथवा पेन ड्राइव का प्रयोग करने के स्थान पर प्रत्यक्ष गायन वादन व नृत्य भैया-बहिनों द्वारा अपेक्षित है।

4. संगीत की तीनों विधाओं (नृत्य, गीत, वाय) का विकास हो।

5. वार्षिक गीत सभी विद्यालयों में हो तथा सभी भैया-बहिनों को याद हो, ऐसा प्रयास करना।

6. प्रान्त में संगीत टोली का गठन हो

7. संगीत प्रमुखों का प्रयास अपने क्षेत्र/प्रान्त में हो।

8. संगीत विषय के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक विद्यालय में संगीत विषय के लिए सप्ताह में दो कालांश दिये जायें।

9. सभी विद्यालयों में संगीत का पाठ्यक्रम पहुंचे।

वृत पत्रक के आधार पर अपने-अपने क्षेत्र/प्रान्त में कार्य करने का आग्रह किया गया।

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