सरस्वती शिशुवाटीकेत पालक मेळाव्याचे आयोजन
पालकांनी विद्यार्थ्यांना आनंददायी वातावरणात शिकू द्या ! भाई उपाले
१९/७/२०२३ बुधवार
विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशुवाटीकेत पालक मेळावा आयोजित करण्यात आला होता. या मेळाव्यास संबोधित करण्यासाठी रा. स्व. संघाचे प्रचारक आणि विद्या भारतीचे महाराष्ट्र गोवा शिशुवाटीका प्रमुख सदाशिव उपाख्य भाई उपाले यांच्या सह विदर्भ प्रांत संघटन मंत्री शैलेशजी जोशी, प्रांत उपाध्यक्ष अँड. सत्यानंद कांबळे, वाशिम जिल्हाध्यक्ष दिलीप जोशी होते.
भाई उपाले यांनी आपल्या उद्बोधनात शिशुगट म्हणजे वय वर्ष ३ ते ८ या मुलांना किमान दहा तास झोप मिळावी असा पालकांनी प्रयत्न करावा, मुलांना भूक लागेल तेंव्हाच आईने आपल्या हाताने बनवलेलं खायला द्यावे. हे करू नको अशी नकार घंटा नको तर काय कर हे सांगा. वर्ग १ ली चे पुस्तक पालकांनी अवलोकन करा. म्हणजे शिशुगटात फक्त भाषा आणि गणन विकास आहे हे लक्षात येईल. लिखाणाचा दुराग्रह सुटेल. मुलांनी सूर्योदय पाहिला का ? लवकर उठण्यासाठी लवकर झोपणे. झोप पुरेशी झाली की मुले दिवसभर उर्जावान राहतात, चल जाऊन झोप म्हणण्यापेक्षा चल आपण झोपुया म्हणत आईने शिशुला कुशीत घेऊन अंगाई, कथा सांगून किंवा थोपटून झोपवा. कथा मनोरंजक प्रेरक पण भूताच्या नको. आईच्या कुशीत तो निश्चिंत, निर्धास्त असतो. शिशुवयात विद्यार्थ्यांचा अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश,आनंदमय कोश समृद्ध होतील अशा पद्धतीची काळजी घेणे गरजेचे आहे. अश्या अनेक मुद्यांवर भाईंनी पालकांना मंत्रमुग्ध आणि सक्रिय ठेवत चर्चेत सहभागी होण्यास प्रवृत्त केले.
मेळाव्याचे प्रास्ताविक प्राचार्य रमेश आरू तर आभार शिशुवाटीका प्रभारी लुंबिनी कांबळे यांनी मानले.
मेळाव्यास शिशुवर्गातील पालकांची प्रचंड उपस्थिती होती. शांती मंत्राने कार्यक्रमाची सांगता झाली.
हिन्दी अनुवाद
सरस्वती नर्सरी स्कूल में अभिभावक बैठक का आयोजन
माता-पिता विद्यार्थियों को सुखद वातावरण में सीखने दें! भाई उपले
19/7/2023 बुधवार वाशिम
विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती नर्सरी स्कूल में अभिभावक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सभा को संबोधित करने के लिए, रेस. खुद विदर्भ प्रांत संघचालक शैलेशजी जोशी के साथ संघ प्रचारक एवं विद्या भारती के महाराष्ट्र गोवा शिशुवाटिका प्रमुख सदाशिव उपाख्य भाई उपले, प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं. सत्यानंद कांबले, वाशिम जिला अध्यक्ष दिलीप जोशी थे.
भाई उपले ने अपने भाषण में कहा कि माता-पिता को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को कम से कम दस घंटे की नींद मिले। मुझे बताएं कि यदि आप अस्वीकृति की घंटी नहीं चाहते कि यह न करें तो क्या करें। अभिभावकों द्वारा कक्षा 1 की पुस्तक समीक्षा। इसका मतलब यह है कि शिशु समूह में केवल भाषा और संख्यात्मक विकास देखा जाता है। लिखने का दोष दूर हो जायेगा। क्या बच्चों ने सूर्योदय देखा? जल्दी उठने के लिए जल्दी बिस्तर पर जाएँ। जब बच्चों को पर्याप्त नींद मिलती है तो वे पूरे दिन ऊर्जावान रहते हैं, ऐसे में मां यह कहने के बजाय कि चलो सो जाओ, बच्चे को गोद में लेती है, उसे कहानी सुनाती है या थपथपाकर सुला देती है। दिलचस्प प्रेरक कहानी लेकिन भूतिया नहीं. अपनी माँ की गोद में वह निश्चिंत, निडर है। इस प्रकार ध्यान रखना आवश्यक है कि विद्यार्थियों का भोजन बैंक, आत्मा बैंक, मानसिक बैंक, वैज्ञानिक बैंक तथा आनन्द बैंक शैशव काल में ही समृद्ध हो जायें। ऐसे कई बिंदुओं पर भाई ने अभिभावकों को उत्साहित और सक्रिय रखते हुए चर्चा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
सभा का उद्घाटन प्रिंसिपल रमेश आरू ने किया और धन्यवाद ज्ञापन नर्सरी स्कूल की प्रभारी लुंबिनी कांबले ने दिया।
बैठक में बच्चों के अभिभावकों की भारी उपस्थिति रही. कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र के साथ हुआ।
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