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“वोकल फॉर लोकल” की मिसाल सरस्वती विद्या मंदिर शारदा विहार आवासीय विद्यालय

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गोबर से तैयार 45 किलो सीएनजी से चलते हैं वाहन | रसोई में लगने वाली गैस का खर्च भी हुआ आधा | संस्थान परिसर पूरी तरह इकोफ्रेंडली | रॉ-मेटिरल से खाद के साथ गौ-काष्ठ भी होते हैं तैयार

भोपाल | वैसे तो आपने किसी भी स्कूल परिसर में शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा खेल और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन होते हुए खूब देखे होंगे, लेकिन राजधानी के केरवा डैम स्थित गुरुकुल की तर्ज पर संचालित सरस्वती विद्या मंदिर शारदा विहार आवासीय विद्यालय ने वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने की दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। यहां शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा गौशाला संचालन और इस गौशाला से निकलने वाले गोबर से संपीड़ित प्राकृतिक गैस यानि सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) तैयार की जा रही है, जिसका संस्थान के वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यहीं गोबर गैस प्लांट से तैयार गैस से विद्यालय के छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों सहित स्टाफ के लिए भोजन भी तैयार किया जाता है । इसके अलावा विद्यालय परिसर में स्थित गैस प्लांट से निकले हुए रॉ-मटेरियल से खाद के साथ गौ-काष्ठ भी तैयार किया जा रहा है। यानी यह संस्थान परिसर पूरी तरह इकोफ्रेंडली है।

बेसहारा और अशक्त गायों की भी सेवा

शारदा विहार जन कल्याण समिति के अंतर्गत इस विद्यालय और दो गौशाला का संचालन करीब 12 लोगों की टीम के साथ किया जाता है। पाँच एकड़ में फैले परिसर मे ढाई एकड़ में सीएनजी प्लांट , गोबर गैस प्लांट और गौशाला है। वर्ष 2001 में यहाँ गौ पालन शुरू किया गया था । इस परिसर में कामधेनु गौशाला और संस्थान से करीब तीन किमी दूरी पर स्थित नंदिनी नाम से संचालित गौशाला में लगभग 500 गाय हैं । बेसहारा और अशक्त गायों को भी रखा गया है। दूध नहीं देने वाली गायों को अकसर पशुपालक खुले में छोड़ देते हैं। ऐसे में इन गायों के सामने भोजन पानी की समस्या खड़ी हो जाती है।

नगर निगम भी इन गायों को पकड़कर पहले कांजी हाउस और बाद में गौशाला पहुंचा देती है।

इस गौशाला में ऐसी ही गायों को प्रश्रय दिया जाता है। भोजन आदि के साथ ही चिकित्सीय सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।

प्रदेश का पहला 100 घनमीटर क्षमता का प्राइवेट बॉयो सीएनजी गैस प्लांट

शुरुआत में यहां 45 घनमीटर क्षमता का गोबर गैस प्लांट शुरू किया गया था। फिर प्लांट में दिल्ली आईआईटी की तकनीकी टीम ने सीएनजी गैस का नया प्लांट स्थापित किया। यहां प्रदेश का पहला 100 घनमीटर क्षमता का प्राइवेट बायो सीएनजी गैस प्लांट हैं, जिससे रोजाना लगभग 45 किलो बायो सीएनजी तैयार की जा रही है ।

खाद और दूध की भी मांग

दोनों ही गौशाला से रोजाना लगभग चार टन गोबर निकाला जाता हैं । इसका उपयोग दोनों प्लांट में किया जाता है। संस्थान मे गो-काष्ठ कंडे बायो सीएनजी प्लांट से निकले गोबर से बनाए जाते हैं। साथ ही सीएनजी प्लांट और गोबर गैस प्लांट से निकले गोबर से देसी खाद बनाई जाती है जिसका बाजार भाव प्रति ट्राली करीब 1000 से 1500 रुपये तक है ।

समिति की जमीन पर ही सब्जी और चारे की व्यवस्था

संस्थान परिसर में ही करीब डेढ़ एकड़ भूमि पर सब्जी और गायों के लिए चारा उगाया जाता है। इसके अलावा कलियासोत डैम के पास नंदिनी गौशाला की लगभग चार एकड़ जमीन पर गायों के लिए चारा उगाया जाता है।

50 से अधिक औषधियां और अन्य प्रोडक्ट

परिसर मे ही गौविज्ञान अनुसंधान केंद्र भी स्थित है जहां 50 से अधिक औषधियां और अन्य प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं । यहां के प्रभारी ने बताया कि यहां गौमूत्र अर्क, धूपबती, साबुन, मूर्तियां, गमले सहित कई प्रकार की वस्तुओं को तैयार किया जाता है ।

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