राव मेहर चंद सरस्वती विद्या मंदिर, भलस्वा, दिल्ली
दिल्ली। आज के परिवेश में हमारे व्यवहार, स्वास्थ्य, खानपान, पर्यावरण, संस्कार आदि से जुड़ी अनेक समस्याएं आ रही हैं। इनके निवारण के लिए राव मेहर चंद सरस्वती विद्या मंदिर, भलस्वा, दिल्ली की ओर से मासिक प्रकल्प चलाए जाते हैं। प्रकल्प के क्रियान्वयन के लिए विद्यालय में बाल भारती की एक केंद्रीय टोली है जिसके अधीन 10 दिन के अंतराल पर कार्य करने वाली तीन टोलियां बनी हैं। प्रकल्प का प्रारंभ प्रथम टोली करती है और दूसरी टोली प्रथम टोली के कार्यों को आगे बढ़ाती है तथा तीसरी टोली प्रकल्प का समापन करती है। प्रकल्प से संबंधित 7-8 मिनट का क्रियाकलाप प्रतिदिन वंदना सत्र में कराया जाता है।
प्रकल्प की बातों को व्यवहार में लाने के लिए कक्षाचार्य एवं बाल भारती के प्रत्येक कक्षा के सदस्य अपनी कक्षा में क्रियान्वयन कराते हैं।
मासिक प्रकल्प का नाम एवं करवाए जाने वाले क्रियाकलाप इस प्रकार से है:-
अप्रैल: स्वच्छ विद्यालय- स्वयं स्वच्छ रहना, कक्षा-कक्ष में स्वच्छता बनाए रखना, इकोब्रिक बनाना, कूड़ा कूड़ेदान में डालना, कागज का कूड़ा बिल्कुल नहीं करना, कूड़ा कम से कम करने की कोशिश करना।
मई: ग्रीष्म काल में हमारी दिनचर्या एवं हमारा स्वास्थ्य – ग्रीष्म काल में तरल पदार्थों का उपयोग अधिक करना, लू से बचने के उपाय, ओआरएस तैयार करना, प्रातःकाल जल्दी उठना, अपने कार्यों की योजना बनाना, नियमित योगाभ्यास करना, प्रतिदिन ग्रीष्मावकाश का गृह कार्य करना, दादा-दादी तथा नाना-नानी की सेवा करना।
जुलाई: भोजन संबंधी अच्छी आदतें- पौष्टिक भोजन की जानकारी, जंक फूड तथा पौष्टिक भोजन में अंतर, भोजन करने का सही तरीका, भोजन के लिए स्टील के टिफिन का प्रयोग।
अगस्त: आजादी का अमृत महोत्सव- आजादी के नायक, आजादी का इतिहास, आजादी का महत्व।
सितंबर: स्वदेशी- स्वदेशी वस्तुओं की जानकारी, स्वदेशी वस्तुओं की प्रदर्शनी, स्वदेशी वस्तुओं का बच्चों द्वारा प्रयोग।
अक्टूबर: हमारा पर्यावरण- पर्यावरण की जानकारी, जीव, जल, जमीन का संरक्षण।
नवम्बर: वायु प्रदूषण हमारी एक मुख्य समस्या- वायु प्रदूषण क्या? उसके कारण तथा निवारण, दिल्ली का वायु प्रदूषण, वायु प्रदूषण को अपने स्तर पर कैसे कम किया जाए, वायु प्रदूषण के लिए जागरूकता, दिल्ली का एक्यूआई।
दिसंबर: आओ जानें हमारी संस्कृति- भारत के राज्यों की राजधानी, महापुरुष, तीर्थस्थल, भाषा, खानपान, प्रमुख स्थलों की जानकारी।
जनवरी: समर्पण- समाज का ऋण चुकाने के लिए समाज से जो पाया वह बांटना, जो पिछड़े हैं उनकी सहायता करना, दान देने की प्रवृत्ति बढ़ाना, गुल्लकों में धन संचय करवाना। एक बालक 10 लोगों से संपर्क कर समर्पण कराए।
फरवरी: परीक्षा एक उत्सव- परीक्षा कोई तनाव नहीं एक उत्सव है, तनाव कम करने के तरीके, परीक्षा में हार भी होती है जीत भी, हार-जीत दोनों एक ही तराजू के पलड़े।