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विद्या भारती, पंजाब की ‘चिंतन बैठक’

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Vidya Bharti Punjab's 'Chintan Baithak'

विद्या भारती, पंजाब के तीन दिवसीय ‘चिंतन बैठक’ का समापन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 में ‘बाल वाटिका’ का स्वरूप विद्या भारती से 90 प्रतिशत लिया गया है – सुरेंद्र अत्री, उपाध्यक्ष विद्या भारती उत्तर क्षेत्र

श्रेष्ठ चिंतन के आधार पर बनी योजना से साधारण व्यक्ति भी असाधारण काम कर सकता है – हर्ष कुमार, प्रशिक्षण प्रमुख विद्या भारती उत्तर क्षेत्र

27 जून, विद्या धाम जलंधर | ‘विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की परंपरा अनुसार हम सभी प्रत्येक 12 वर्षों के बाद चिंतन बैठक करते हैं | ये चिंतन बैठकें विद्या मंदिर से लेकर अखिल भारतीय स्तर तक होती हैं | इन बैठकों में हम अपने कार्य की गुणात्मक, संख्यात्मक व संगठनात्मक स्थिति की गहनता से चिंतन और समीक्षा करते हैं | इस समीक्षा के बाद प्रत्येक स्तर कुछ सुझाव सामने आते हैं | इन सुझावों को केंद्र को भेजा जाता है जिसके  आधार पर विद्या भारती अनेक नई नीतियों व लक्ष्यों का निर्धारण करती है |

इन नीतियों व लक्ष्यों को विद्या भारती के विद्या मंदिरों में लागू किया जाता है | हम सभी ने विद्या भारती के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए खुले मन से चिंतन व समीक्षा की है | यही इस ‘चिंतन बैठक’ का उद्देश्य था | इस बैठक में किए गए चिंतन – मनन से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य ही देखने को मिलेंगे |’ ये शब्द विद्या भारती, उत्तर क्षेत्र के उपाध्यक्ष सुरेंद्र अत्री ने विद्या धाम में चल रही विद्या भारती, पंजाब की 25 से 27 जून तक तीन दिवसीय ‘चिंतन बैठक’ के समापन सत्र पर कहे |

उपस्थित कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए सुरेंद्र अत्री ने आगे कहा कि इन्हीं चिंतन बैठकों के आधार पर विद्या भारती की ‘शिशु वाटिका पद्धति’ का निर्माण हुआ है | ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020’में जिस ‘बाल वाटिका’ के स्वरूप का वर्णन किया गया है उसका 90% विद्या भारती की शिशु वाटिका पद्धति से ही लिया गया है | इस शिशु वाटिका पद्धति का हम सभी को अध्ययन व अनुसरण करना होगा |  

25 जून को बैठक के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता हर्ष कुमार ने चिंतन बैठक के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि चिंतन खुले मन तथा उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए ।ठीक समय पर ठीक चिंतन कर ठीक निर्णय लेना चाहिए, नहीं तो दुष्परिणाम कई पीढ़ियों को भोगने पड़ते हैं। स्वामी विवेकानंद के शब्दों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि थोड़े स्वार्थ हेतु सीमित व संकुचित चिंतन का परिणाम बहुत ही  दुखदाई होता है । श्रेष्ठ चिंतन के आधार पर बनी योजना का पालन करने पर साधारण व्यक्ति भी असाधारण कार्य कर सकता है | इसके अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं | विद्या भारती स्वयं भी इसी तथ्य का एक सफलतम उदाहरण है | विद्या भारती आज ‘शून्य में सृष्टि का निर्माण’ कर विश्व की महानतम स्वयंसेवी शैक्षिक संस्था बन चुकी है | उल्लेखनीय है कि हर्ष कुमार विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के प्रशिक्षण प्रमुख और संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं |  

बैठक का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ | विद्या भारती, पंजाब के महामंत्री नवदीप शेखर ने मंचासीन अधिकारियों का परिचय देते हुए कहा कि यह बैठक 15 वर्ष के बाद देश में आने वाली परिस्थितियों पर विचार करने के लिए आयोजित की गई है। पंजाब के विभिन्न स्थानों से आए हुए चुनिंदा 32 कार्यकर्ताओं ने इस बैठक में भाग लिया |

चंडीगढ़ से अर्चना नागरथ, खमाणों से गुरप्रीत कौर, डेराबस्सी से पवन कुमार, सरहिंद से महेश शर्मा, अमृतसर से रीना ठाकुर, फतेहगढ़ से सुरेंद्र सिंह,भोआ से ज्योति शर्मा, हरियाल से कंचन सिंह, मामून से विशाल शर्मा,जालंधर से डा. अखिलेश्वर, सुनाम से अमित डोगरा के अतिरिक्त जयदेव बातिश, प्रांतीय संगठन मंत्री राजेंद्र, सुभाष महाजन आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे |

Read More:  National Education Policy–2020 And Classroom Transactions

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