नई दिल्ली। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान और चिन्मय युवा केंद्र की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सामाजिक विज्ञान की तीन पुस्तकें भेंट की गईं। ये तीनों पुस्तकें कक्षा 6, 7 और 8 के विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार तैयार की गई हैं। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से चेन्नई में लगभग 25 विद्या भारती स्कूलों और 5 चिन्मय विद्यालयों में इन पुस्तकों को अपनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक दिन की चेन्नई यात्रा के दौरान विद्या भारती और चिन्मय युवा केंद्र की ओर तैयार की गई सामाजिक विज्ञान की कक्षा 6,7 और 8 की पुस्तकों को प्रधानमंत्री को भेंट किया गया। इन तीनों पुस्तकों को क्रमशः रेडियंट भारत, रेजिलिएंट भारत और रिसर्जेंट भारत शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में क्षेत्रीय सामग्री को समाहित करने का विशेष प्रावधान किया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए कक्षा 6,7 और 8 के लिए सामाजिक विज्ञान की जो पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं उनमें क्षेत्रीय सामग्री को पर्याप्त स्थान दिया गया है।
विद्या भारती उत्तर तमिलनाडु और चिन्मय मिशन चेन्नई ने सच्चाई को सामने लाने और छात्रों के सामने भारत के इतिहास को प्रस्तुत करने के लिए इतिहास को फिर से लिखकर इस स्थिति को पूर्ववत करने के लिए एक परियोजना की कल्पना की जो प्रेरित करने के साथ अपने पूर्वजों पर गर्व का बोध कराएगी। इस दृष्टि से 2019 में कक्षा 6,7 और 8 के लिए सामाजिक विज्ञान की पुस्तकें तैयार करने का विचार किया गया और इस विषय पर विद्या भारती के प्रतिनिधियों और चिन्मय युवा केंद्र के प्रमुख स्वामी मित्रानंद जी के बीच प्रारंभिक चर्चा हुई। उस समय यह संदर्भ भी सामने आया था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सामाजिक विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों में क्षेत्रीय सामग्री के समावेश का भी प्रावधान किया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए चिन्मय युवा केंद्र के प्रमुख स्वामी मित्रानंद जी की अध्यक्षता में विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डी रामकृष्ण राव जी क्षेत्रीय अध्यक्ष चक्रवर्ती जी और अन्य प्रतिनिधियों की औपचारिक बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कक्षा 6,7 और 8 के लिए सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों को तैयार करने का अंतिम निर्णय लिया गया। इस निर्णय के अनुपालन में विद्या भारती और चिन्मय मिशन के प्रधानाचार्यों, शिक्षा अधिकारियों, इतिहास शिक्षकों और स्वयंसेवकों की टीमों का गठन किया गया। इनमें विद्या भारती के 70 शिक्षक और 30 चिन्मय मिशन स्कूलों के प्रतिनिधि शामिल रहे। इन टीमों ने दो वर्ष के शोध, लेखन, संपादन और डिजाइनिंग के बाद कक्षा 6, 7 और 8 के लिए सामाजिक विज्ञान की पुस्तकें क्रमशः रेडियंट भारत, रेजिलिएंट भारत और रिसर्जेंट भारत तैयार कीं। पुस्तकों को अंतिम रूप देने से पूर्व स्वामी मित्रानंद जी ने प्रत्येक पृष्ठ और शब्द का अवलोकन कर आवश्यक सुधारों के लिए सुझाव दिए। तीनों पाठ्य-पुस्तकों को तैयार करने में विद्या भारती के पूर्व छात्र प्रमुख श्रीराम जी ने अमूल्य योगदान दिया। विगत अप्रैल माह में चेन्नई के चिन्मय हेरिटेज सेंटर में भव्य समारोह में इन पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर इतिहासकार विक्रम संपत जी, वीडी सावरकर पर दो खंडों की जीवनी के लेखक और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री जी, विद्या भारती के दक्षिण मध्य क्षेत्र अध्यक्ष उमा महेश्वर राव जी और विवेकानंद एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एन. गोपालस्वामी आदि उपस्थित रहे।

प्रामाणिक और भारत-केंद्रित इतिहास कथन जरूरी
दरअसल औपनिवेशिक दिनों से स्कूली छात्रों को भारत के इतिहास के बारे में इस तरह से पढ़ाया जाता रहा जिसमें हमारे पूर्वजों का किसी भी सभ्यता से रहित वनवासियों के रूप में उपहास किया गया। ऐतिहासिक आख्यान आक्रमणकारियों और उपनिवेशवादियों के दृष्टिकोण से था और इसने भारत के वीर हृदयों द्वारा किए गए उत्साही प्रतिरोध के सहस्राब्दियों को शायद ही स्वीकार किया हो। आक्रमणकारियों की प्रशंसा करके और देशी राजाओं को अंधकार की ओर धकेलने से युवा पाठकों के मन में एक पराजयवादी भाव पैदा हो गया है। एक प्रामाणिक और भारत-केंद्रित इतिहास-कथन हमारी आजादी के बाद से ही मांग रहा है। दुर्भाग्य से, स्वतंत्रता के बाद का राजनीतिक नेतृत्व और शिक्षाविद् इतिहास लेखन को उलटने में विफल रहे और भारत के इतिहास को अपने औपनिवेशिक विवरण के साथ जारी रखा।