शिशुवाटिका अखिल भारतीय परिषद बैठक एवं प्रशिक्षण
Shishu Vatika Akhil Bharatiya Parishad Meeting and Training
शिशु वाटिका की वर्तमान आवश्यकताओं तथा स्वरूप की दृष्टि से चिन्तन एवं आगामी योजना के लिए शिशुवाटिका अखिल भारतीय परिषद बैठक एवं प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 18 फरवरीे से 22 फरवरी 2023 तक विद्या भारती शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, (अक्षरा) भोपाल, मध्यप्रदेश में किया गया।
बैठक मेें शिशुवाटिका के अखिल भारतीय संयोजक/सह संयोजक तथा क्षेत्रीय संयोजक/सह संयोजक एवं विशेष आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे। शिशुवाटिका के अखिल भारतीय प्रभारी श्री गोबिंद महन्त (अखिल भारतीय संगठन मंत्री) एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री काशीपती का पूरा समय सानिध्य प्राप्त हुआ।
सुश्री आशा थानकी अखिल भारतीय शिशुवाटिका संयोजिका ने प्रस्तावना प्रस्तुत कीे। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के तप-तपस्या के कारण विद्या भारती की शिशु शिक्षा (शिशुवाटिका) आज पूरे देश में प्रचलित होने जा रही है। अतः अब इसे राष्ट्रीय शिशु शिक्षा भी कह सकते हैं।
अतः अपनी सोच को राष्ट्र के निमित्त विस्तृत करना होगा। शिशु शिक्षा, आचार्य शिक्षा/प्रशिक्षण, शोध और प्रकाशन के विषय में स्वक्षेत्र से अखिल भारतीय स्तर तक विचार करने की आवश्यकता है। गत बैठक की कार्यवाही का पठन विद्या भारती अखिल भारतीय शिशुवाटिका सह संयोजक श्री हुकुम चन्द भुवन्ता ने किया।
श्री श्याम मनावत (कथा वाचक, समर्थ शिशु श्री राम कथा) ने अपने आशीर्वचन में संगठन के घटकों की तुलना पृथ्वी, पौधे की जङ और फूल से की। जैसे जङ पृथ्वी से गंध लेकर सुगंधित फूल को मुखरित करती है ऐसे ही संगठन के अंगभूत घटक हवन की समिधा हैं जो हवन में जाकर अग्नि बन स्वाहा हो जाते हैं।बैठक में क्षेत्रीय वृत्त प्रतिवेदन किया एवं अपनी प्रयोग भूमि के विशेष प्रयोगों को भी पावर प्वाइंट के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
सुवर्णप्राशन के विषय में श्रीमती हीना बेन ठुम्मर, समर्थ शिशु श्रीराम कथा के विषय में श्री भुवन्ता जी, बाली विद्यालय के विषय में श्रीमती चालीसा बेन और शिशुवाटिका प्रशिक्षण केन्द्र गांधीधाम के विषय में श्री जयेश भाई ने वृत्त प्रस्तुत किया।
प्रशिक्षण केन्द्र के अनुवर्ती कार्यो को भी क्षेत्रीय प्रमुखों के द्वारा बताया गया। प्रशिक्षण में मुख्य विषय – भारतीय जीवन दर्शन, भारतीय शिक्षा दर्शन, भारतीय मनोविज्ञान एवं पंचकोश आधारित मूल्यांकन रहे। चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी के पूर्व नियामक, श्री दिव्यांशु दवे ने क्रमशः 2-2 कालांश में इसे बङे सहजता और सरलता से समझाया। एन.सी.एफ के अनुसार पाठयचर्या निर्माण के विषय को अखिल भारतीय शिशु वाटिका सह संयोजिका श्रीमती नम्रता दत्त ने समझाया और इसका अभ्यास भी करवाया।
शिक्षक शिक्षा का विषय लेते हुए अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोबिंद महंत ने कहा कि एन.सी.एफ. 3 से 8 वर्ष अर्थात् कक्षा 2 तक के लिए पंचकोशात्मक विकास पर आधारित बना हैं। यह पंचकोशात्मक विकास 12 वीं कक्षा तक जाएगा। अतः शिक्षक शिक्षा (बी.एड, डी.एल.एड.) में भी इसे जोङना पङेगा।
दिनांक 20 फरवरी 2023 को मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री इन्द्र सिंह परमार भी वन्दना सत्र में उपस्थित रहे। दोपहर को एक शैक्षिक गोष्ठी का आयोजन राज्य शिक्षा विभाग द्वारा पतंजलि सभागार में किया गया। गोष्ठी में मुख्य मार्गदर्शन श्री दिव्यांशु दवे का रहा। स्थानीय शिक्षा अधिकारी एवं शिक्षक भी इस गोष्ठी में उपस्थित रहे।श्रीमती आशा जी ने वर्ग की समीक्षा की और कुछ विशेष (सोशल मीडिया से सम्बन्धित ) निषेध बातों पर भी मार्गदर्शन दिया।
समापन सत्र में श्री गोबिंद चंद्र महंत ने कहा कि भावी पीढी के निर्माण का कार्य शिक्षा ही करती है और शिक्षा का प्रारम्भ शिशु से ही होता है। अतः शिशु शिक्षा का संस्कारित होना अनिवार्य है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने यह अवसर प्रदान किया है। जब तक नीति 2020 मूर्त रुप न ले ले तब तक अथक कार्य करना है। राज्य अपनी व्यवस्था के अनुसार 2023 में कार्य योजना बनाएं। शांति मंत्र के साथ बैठक समाप्त हुई ।
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