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कक्षा शिक्षण प्रयोग

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Class Teaching Experiment

भारतीय विद्या मंदिर उच्च विद्यालय नैनसू , ऊधमपुर

Bharatiya Vidya Mandir High School Nainsu, Udhampur

भारतीय विद्या मंदिर उच्च विद्यालय नैनस, उधमपुर में कक्षा शिक्षण पर नया प्रयोग किया गया। आचार्य तो कक्षा में पढ़ाते ही हैं, छात्रों को भी कक्षा शिक्षण सिखाया गया। छात्रों को सबसे पहले पंचपद्धति से पाठ योजना बनाना सिखाया गया। आचार्य के सहयोग से छात्र सभी विषयों की पाठ योजना तैयार करते हैं। उसके उपरांत वह विषय-वस्तु के अनुरूप दृश्य श्रव्य साम्रगी, PPT और Activity तैयार करते हैं। यह प्रक्रिया माह के एक सप्ताह चलती है। पूरे वर्ष अनुक्रमांक अनुसार सभी छात्रों को दायित्व दिया जाता है। प्रत्येक छात्र इसमें भाग लेता है और विषयवस्तु से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इंटरनेट और पुस्तकालय से पुस्तकों को पढ़ता है। छात्र अपने सहपाठियों से बिना संकोच प्रश्न पूछते हैं। इसलिए कक्षा शिक्षण से पहले छात्र पाठ से संबंधित अन्य जानकारी भी प्राप्त करता है।

यह शिक्षण विधि अपनाने से-

  • छात्रों में आत्मविश्वास की भावना जागृत हुई।
  • छात्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न होती है।
  • बच्चों ने श्यामपट्ट पर लिखने की विधि सीखी।
  • विषय-वस्तु के अनुरूप कविता, गीत, नाटक तैयार करने से छिपी प्रतिभा सामने आई।
  • पढ़ाई के प्रति छात्रों की रुचि बढ़ी।
  • छात्रों में मूल्यांकन की भावना जागृत हुई।
  • अभिभावकों ने भी बच्चों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
  • विद्यालय के इस प्रयास से बच्चों का सर्वांगीण विकास हुआ।
  • कक्षा में आनंदमय वातावरण बना। सभी छात्र प्रसन्नचित होकर पढ़ाई करने लगे।

अभिभावक और बच्चे विद्यालय की ओर आकर्षित हुए।

कक्षाओं में सामूहिक चर्चा

पाठ योजना में सामूहिक चर्चा का एक विशेष स्थान है। विद्यालय में सभी आचार्य सामूहिक चर्चा के लिए विद्यार्थिंयों को प्रेरित करते हैं और हर पाठ के अंत में आचार्य कुछ छात्रों को सामूहिक चर्चा के लिए कहते हैं। हर समूह का छात्र पहले से तय करता है कि वह किस बिंदु को उजागर करेगा। हर बच्चा अपने समूह में पाठ के विशेष बिंदु को अपने ग्रुप में चर्चा के लिए सामने लाता है। सामूहिक चर्चा में आचार्य कमजोर बच्चों को मेधावी बच्चों के साथ समूह में रखते हैं और हर बच्चे को पाठ के अनुसार अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देते हैं। बाद में बच्चों से उनके टॉपिक पर रिव्यूज भी लेते हैं।

विकास:-कक्षा में आचार्य बच्चों को जब सामूहिक चर्चा में शामिल करते हैं तब धीरे-धीरे बच्चे ज्यादा रुचि के साथ कक्षा में ध्यान केंद्रित करते हैं। सामूहिक चर्चा से छात्रों को सोचने, अलग-अलग दृष्टिकोण विकसित करने और अधिक गहराई से अन्वेषण करने का अवसर मिलता है। रिव्यूज रखने में भी बच्चे बिल्कुल हिचकिचाते नहीं है। सामूहिक चर्चा में सभी बच्चों को बराबर बोलने का अफसर मिलता है। इससे उनका मनोबल और भी ज्यादा बढ़ता है।

लाभ:- सामूहिक चर्चा से संचार कौशल, समूह प्रबंधन कौशल, रचनात्मकता, सामान्य जानकारी आदि का विकास हुआ है। बच्चे अब किसी भी कार्य को करने की पहल करते हैं। सामूहिक चर्चा से बच्चों को यह ज्ञान हुआ की विषय का संपूर्ण ज्ञान और अच्छा स्पीकर कैसे बनना है। इसके good listener के गुण भी विकसित हुए हैं। आचार्य बच्चों को कभी-कभी current events पर चर्चा के लिए भी प्रेरित करते हैं जैसे-केंद्रीय बजट, रूस-यूक्रेन युद्ध, महिला सशक्तिकरण, जी-20 आदि। सामूहिक चर्चा के अंत में समूह में से 1-1 बच्चा बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

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