संस्कृति बोध परियोजना की अखिल भारतीय कार्यगोष्ठी
संस्कृति बोध परियोजना को समाजव्यापी बनाएं : गोबिंद चंद्र महंत
जीवन व्यवहार में परिलक्षित हो संस्कृति : अवनीश भटनागर
कुरुक्षेत्र । विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में 19-20 जून 2023 को दो दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना की अखिल भारतीय कार्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्या भारती के संगठन मंत्री श्री गोबिंद चंद्र महंत ने कहा कि संस्कृति बोध परियोजना को विद्यालय तक सीमित न रखकर समाजव्यापी बनाना है। भारतीय संस्कृति विश्व के कल्याण की कामना करती है। हमारा कार्य केवल विद्यालय चलाना नहीं अपितु समाज को जगाना भी है। समाज बोध, संस्कृति बोध, अध्यात्म बोध और देश बोध सभी के लिए आवश्यक है।
विद्या भारती के महामंत्री श्री अवनीश भटनागर ने कहा कि ज्ञान सार्वभौमिक है, परन्तु शिक्षा सदैव राष्ट्रीय होती है। शिक्षा के अंदर राष्ट्रीयता का भाव वहां के लोगों के विचार के आधार पर, संस्कृति के आधार पर, जीवन दृष्टि के आधार पर तय होता है। राष्ट्र का विचार ही विद्या भारती का विचार है। राष्ट्रीयता के इस भाव को शिक्षा के माध्यम से समाज में ले जाने का प्रयास विद्या भारती पिछले लगभग 70 वर्षों से कर रही है। संस्कृति बोध परियोजना केवल परीक्षा, कार्यक्रम, मंच प्रदर्शन तक सीमित न रह जाए, अपितु व्यवहार में भी परिलक्षित हो। संस्कृति जीवन व्यवहार में भी जुड़े। संस्कृति स्वभाव में आए, संस्कृति के प्रति गौरव का भाव स्वभाव में आए। संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि “स्मृति” शब्द ज्ञान के निकट इतना नहीं जितना बोध के निकट है। हम सब एक प्रकार से संस्कृति प्रचारक हैं। भारतीय संस्कृति क्या है, इसे दूसरे तक पहुंचाने का काम हमारे पास है। संस्कृति का बोध अपने अंदर ले आएं तो ही हम दूसरे को संस्कृति का बोध पढ़ाने के लिए, दीप से दीप जलाने के लिए योग्य भी होंगे और हमारे भीतर आगे बढ़ने की क्षमता होगी। ज्ञान तभी पूरा होता है जब वह बोध हो जाए, बोध का अर्थ विनम्रता आ जाए, अहंकार का सर्वथा अभाव हो जाए। संस्कृति आत्म विश्वास पैदा करती है, सबके साथ जोड़ती है, ऐसा अदम्य साहस देती है जिससे शंकाओं का स्वतः ही समाधान हो जाता है।
कार्य-गोष्ठी में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, केरल, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल, तेलंगाना, असम, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने लगभग सभी राज्यों से आए क्षेत्र, प्रान्त संयोजकों एवं सह-संयोजकों के रूप में 80 प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए संस्कृति ज्ञान परीक्षा की संपूर्ण प्रक्रिया की जानकारी दी और सुझाव भी लिए। संस्कृति बोध परियोजना के विषय संयोजक श्री दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने आगामी कार्य योजना की जानकारी ली। संस्थान के सचिव श्री वासुदेव प्रजापति, संस्कृति बोध संस्थान के सहसचिव श्री पंकज शर्मा भी उपस्थित रहे।
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