प्रांतीय घोष आचार्य प्रशिक्षण वर्ग
झारखंड। प्रांतीय घोष आचार्य प्रशिक्षण वर्ग कुदलुम 2022 का आयोजन विद्या विकास समिति, झारखंड द्वारा किया गया। इस अवसर पर विद्या भारती खेल परिषद के संयोजक कृपा शंकर शर्मा ने कहा शिक्षा का आधार ही संगीत है। संगीत का एक अंग है घोष। गायन, वादन, नृत्य हिंदू संस्कृति का कोई भी कार्यक्रम बिना संगीत के सफल नहीं हो सकता। जन्म से मृत्यु तक संगीत जुड़ा है। घोष साधना का विषय है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्यालीराम जी ने कहा कि घोष विद्यालय का श्रृंगार है। घोष के कारण बच्चों में अनुशासन आता है। इसलिए विद्यालयों में घोष व्यवस्थित एवं सुसज्जित होना चाहिए। नियमित अभ्यास से घोष प्रभावी और आकर्षक होगा। घोष के वादन से बच्चों में समय पालन करने की प्रेरणा जाग्रत होती है।
प्रांतीय घोष आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में आनक में 10, वंसी में 10 और शंख में 5 अभ्यास सत्र आयोजित किए गए। आनक में प्राथमिक पाठ का अभ्यास और रचना लव,कुश, प्रभात, अतिथि वंदन एवं टिक प्रयोग का अभ्यास कराया गया। वंशी में वंशी को कैसे पकड़ना, कैसे फूंकना, स्वर परिचय, प्राथमिक पाठ 1 से 9 तक का और रचना प्रभात का अभ्यास कराया गया। शंख में शंख पकड़ना, फूंकना, स्वर पाठ का अभ्यास और रचना लव, अतिथि वंदन का अभ्यास कराया गया। लिपि अभ्यास सत्र में लिपि कैसे लिखना, पढ़ना और चिन्हों की पहचान बताई गई।
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