राजस्थान। श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ तहसील के 78 जीबी गांव के एकल विद्यालय के आचार्य राजीव कुमार ने सोचा कि गांव में पॉलिथीन की थैलियां एवं रैपर बिखरे रहते हैं जिसे खाकर गायें मर रही हैं और भूमि भी दूषित हो रही है। इस पर एकल विद्यालय के भैया-बहनों और आचार्यों ने मिलकर गांव को पॉलिथीन मुक्त करने का संकल्प लिया। भैया-बहनों को प्रतिदिन गांव की गलियों से प्लास्टिक रैपर एवं थैलियां विद्यालय लाने को कहा। प्रतिदिन कौन कितने रैपर एवं थैलियां लेकर आया, गिनकर एक गड्ढे में डालना प्रारंभ किया गया। जो भैया-बहन ज़्यादा पालिथीन लाए उनका ताली बजवाकर उत्साहवर्धन किया गया। यह क्रम निरंतर चलता रहा और धीरे-धीरे गांव की गलियों में प्लास्टिक की थैली व रैपर दिखने बंद हो गए। जब गलियों में पॉलिथिन थैली नहीं मिली तो झाड़ियों से बीनकर प्लास्टिक लाना शुरू किया। बाद में घरों में पॉलिथीन उपयोग में न लाई जाए, इसके लिए अभिभावकों की बड़ी बैठक कर पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरुक कर गांव को पॉलिथीन मुक्त बनाने का संकल्प कराया गया। गांव के सभी घरों में संस्थान द्वारा निर्मित कपड़े की थैलियां वितरित की गईं और बाजार से इन्हीं थैलियों में सामान लाने के लिए आग्रह किया गया। भैया-बहनों ने पॉलिथीन मुक्ति का संदेश देने के लिए हाथ में तख्तियां लेकर जागरूकता रैली भी निकाली। विद्यालय के प्रयास से पालिथीन से ईको ब्रिक बनाने प्रारंभ हो गए। इस सफल प्रयास से कई अन्य गांवों में भी पॉलिथीन से मुक्ति के प्रयत्न प्रारंभ हुए हैं।