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विद्या भारती महाकौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन

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Educational experiment: Excellent performance of Vidya Bharti Mahakaushal in state's merit list

शैक्षिक प्रयोग : विद्या भारती महाकौशल का प्रदेश की प्रवीण सूची में उत्कृष्ट प्रदर्शन

महाकौशल | शिक्षा एक गतिशील एवं चैतन्यमयी वैचारिक प्रक्रिया है जो बालक के आचार, विचार, व्यवहार एवं भावना में ऐसा परिवर्तन ला देती है जिससे न केवल उसकी सुप्त प्रतिभाओं एवं उसमें सद्गुणों का विकास होता है अपितु बालक घर का दीप एवं जग का दिवाकर बनकर समाज के लिये एक वरदान सिद्ध हो जाता है। इसी में शिक्षण प्रक्रिया की सार्थकता निहित रहती है।

शिक्षा को वन की प्रयोगशाला कहा गया है जिसके समन्वय से छात्र विभिन्न संस्कारों को समाहित कर तन, मन, बुद्धि, आत्मा का समन्वित विकास करता है और श्रेष्ठ या उच्च बनने के लिये दिन रात मेहनत करता है स्वाध्याय करता है, कोचिंग करता है अर्थात् अध्ययन की गंगा में डूब कर रसमय हो जाता है। आज हमारी शिक्षा प्रणाली में समग्रता का अभाव सा दिखता है परंतु छात्र के स्तरानुसार प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर शिक्षा के स्तर बनाये गये हैं।

स्मरण है कि कुछ वर्ष पहले प्राथमिक स्तर पर कक्षा पांचवी एवं माध्यमिक स्तर पर कक्षा आठवीं की बोर्ड परीक्षा हुआ करती थी। छात्र उच्चतम अंक लाने के लिये अथक मेहनत करते थे और जिला की सम्भाग की सूची में मेरिट में स्थान लाते थे। आचार्य अपने छात्रों को मेरिट में लाने के लिये प्रातः 04:00 बजे घर घर छात्रों को जगाते थे, स्कूल में प्रतिदिन अतिरिक्त कक्षा लेते थे। महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी का संग्रह करते थे, घर में संपर्क करते अर्थात रात दिन कार्य में लगे रहते थे। परंतु आज जब कक्षा दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा बोर्ड की होती है उसमें भी हम अछूते नहीं है।

प्रतिवर्ष माध्यमिक शिक्षा मण्डल से जारी मेरिट सूची साक्षी है कि प्रतिवर्ष विद्याभारती सरस्वती शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर के भैया बहिन माध्यमिक शिक्षा मण्डल की सूची में अपना प्रभाव बनाए हुये हैं।

सर्वाधिक मैरिट सूची में स्थान पाने के पीछे अध्ययन से जो वैशिष्ट सामने आये है वह निम्नलिखित है:-

01. छात्र की विद्यालय में नियमित उपस्थिति ।

02. शत प्रतिशत अंक लाने के लिये दृढ संकल्प की भावना ।

03. विषयाचार्यों द्वारा मन से अध्यापन कार्य

04. पढाई गई विषय सामग्री की घर में पुनरावृत्ति ।

05. नोट्स तैयार करना ।

06. स्मरण शक्ति बढ़ाने हेतु स्वाध्याय करना ।

07. टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर से दूरी ।

08. अध्ययन कार्य योजनाबद्ध समय सारिणी के अनुसार करना।

09. आचार्य का सतत् सम्पर्क एवं सहयोग ।

10. मेधा मास- जनवरी एवं फरवरी माह को मेधा मास के रूप में मनाते हैं। विद्यालय स्तर पर की विशेष कक्षाएं प्रारंभ की जाती है। छात्रों एवं अभिभावकों की काउंसलिंग की जाती है। 11. जिले स्तर पर मेधावी छात्रों का पांच दिवसीय वर्ग लगाते हैं। इसमें विषय विशेषज्ञ दर्शक जाता है। इस वर्ग में सम्मिलित होने के लिए प्रत्येक विद्यालय से 5 छात्रों का चयन किया जाता है।

12. बोर्ड के ब्लूप्रिंट के आधार पर मॉडल प्रश्न पत्र बनाकर अभ्यास कराया जाता है।

13. रात्रि कालीन कक्षाएं लगाई जाती है। इसमें आचार्य अभिभावक एवं सभी की भागीदारी रहती है।

14. उपर्युक्तानुसार प्रयोग पूरे वर्ष भर चलते हैं।

इस प्रकार माध्यमिक शिक्षा मण्डल की प्रावीण्य सूची में ही नहीं अपितु सेवा के क्षेत्र में प्रशासनिक क्षेत्र में, राजनैतिक क्षेत्र में, उच्च पदों पर पहुँच कर विद्याभारती सरस्वती शिशु मंदिर का नाम गौरवांवित कर रहे हैं।

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