विद्या भारती की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक
प्रांतीय स्तर पर पूर्व छात्र परिषद् का गठन करें- मा. कृष्णगोपाल
आत्मीयता बढ़ाकर कर्तव्यबोध व राष्ट्रीयता का भाव जगाएं
गोरखपुर । विद्या भारती की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में 22 से 24 सितंबर तक आयोजित की गई। बैठक में विद्या भारती की कार्य स्थिति, कार्य का सशक्तिकरण, शिक्षा की गुणवत्ता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, समाज परिवर्तन आदि विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की गई। बैठक में देशभर से 160 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि विद्या भारती का कार्य कई वर्षों से चलने के कारण अपने विद्यालयों में पढ़े छात्र बड़ी संख्या में समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं। इन पूर्व छात्रों से सतत संपर्क बना रहे, इस उद्देश्य से सभी विद्यालयों में प्रांतीय स्तर पर पूर्व छात्र परिषद का गठन किया गया है। इससे उनके संस्कारों का पुनर्जागरण तो होता ही है, विद्या भारती के अनेक सेवा प्रकल्पों में उनकी सक्रिय सहभागिता बनी रहती है। विद्या भारती की छात्र संख्या और गुणवत्ता में अब किसी से पीछे नहीं हैं। भाऊराव देवरस सेवा न्यास से सफल होने वाले अधिकांश छात्र विद्या भारती के ही हैं। पूर्व छात्र एक बहुत बड़ी शक्ति हैं। पूर्व छात्रों से आत्मीयता बढ़ाने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनमें श्रद्धाभाव, कर्तव्यबोध एवं राष्ट्रीयता का भाव भरने का कार्य किया जाता है। पूर्व छात्र पर्यावरण, जल, ऊर्जा संरक्षण, आत्मनिर्भर भारत तथा समाज जागरण के कार्यों में भी सक्रिय योगदान देते रहते हैं। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि मातृभाषाओं को पढ़ने पर जोर दिया जाना चाहिए। आचार्यों के प्रशिक्षण हेतु विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापकों के सहयोग से कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। सहयोग करने से आनंदमय कोश की खिड़की खुल जाती है। विद्यार्थियों के लिए आनंद कोश का विकास आवश्यक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए पंचकोशात्मक विकास को समझना जरूरीः डी. रामकृष्ण राव
श्री डी. रामकृष्ण राव अध्यक्ष विद्या भारती ने पंचकोशात्मक विकास व एकात्म मानव दर्शन पर विचार रखते हुए कहा कि हर व्यक्ति सुख चाहता है। भारत में शिक्षा जीवन विकास के लिए दी जाती है। उपनिषद् हमारे सबसे प्राचीन शिक्षा ग्रंथ हैं। उपनिषदों में व्यक्ति का व्यक्तित्व पंचकोशात्मक बताया गया है। व्यवहार जगत में इन कोशों का विकास करना ही व्यक्तित्व का विकास करना है।
पाश्चात्य मोह भंग कर आत्मगौरव का भाव जगाएः गोबिंद चंद्र महंत
विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोबिंद चंद्र महंत ने कहा कि कोरोना काल की विभिषिका के बाद भी हम छात्र संख्या और विद्यालय संख्या व संस्कार केन्दों को बढ़ाने में सफल रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष को देखते हुए हमें विचार करना है कि जिन क्षेत्रों में विद्या भारती का कार्य नहीं है, ऐसे क्षेत्रों के लिए योजना निर्माण कर, प्रयत्न कर, वातावरण निर्माण कर वहां विस्तार करना है। गुणवत्ता युक्त विकास के लिए गुणवत्ता युक्त आचार्य, प्रधानाचार्य एवं समिति का होना आवश्यक है। हम उस संधि काल में बैठे हैं जिसमें शिक्षा जगत में परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है। इसलिए हमें जागरूक होकर कार्य करना है। परिवर्तन के लिए वैचारिक संघर्ष चल रहा है, उसमें हमारी भी सक्रिय भूमिका होनी चाहिए। राष्ट्र विरोधी ताकतों को परास्त करते हुए हमें भारतीय शिक्षा को स्थापित करना होगा। विरोधियों का अस्त्र है समाज को भ्रमित करना, सज्जन शक्ति में अविश्वास पैदा करना व देश के प्रति श्रद्धाभाव को कम करना, वे यह कार्य कर रहे हैं। इसलिए हमें राष्ट्र विरोधी ताकतों को परास्त करने के लिए सतर्क रहकर समाज के मानस निर्माण के लिए अलग योजना रचना का निर्माण करना होगा और इसके लिए सतत कार्य करना होगा। हमारा काम शिक्षा क्षेत्र में विमर्श खड़ा करना है। सत्य व धर्म आधारित विषयों को सामने लाना है। विद्या भारती के कार्यों, प्रयोगों व परिणामों से समाज को अवगत कराना होगा। समाज से पाश्चात्य मोह को भंग करना तथा आत्मगौरव का भाव जागृत करना है। इसके लिए शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और मीडिया से संपर्क करना, उनको साथ लेकर चलना व उन्हें अपनी विशिष्टताओं से अवगत कराना आवश्यक है। व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 35 वर्ष से नीचे की हमारी जनसंख्या 60 प्रतिशत है। उनके लिए स्किल एजुकेशन, वोकेशनल एजुकेशन को बढ़ावा देना है। 50 प्रतिशत जनसंख्या को स्किल्ड बनाकर भारत को सक्षम बनाया जा सकता है।
महत्वपूर्ण वैचारिक विमर्श तैयार कर रही विद्या भारतीः यतींद्र शर्मा
विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री यतींद्र शर्मा ने अखिल भारतीय कार्यकारिणी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि माननीय नानाजी देशमुख, माननीय कृष्ण चंद गांधी के सम्मिलित प्रयासों से शिक्षा की जो ज्ञानधारा बाबा गोरखनाथ की पावन धरा पर सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग के रूप में प्रवाहित की गई उसे नमन करता हूं। गोरखपुर की यह पावन भूमि सरस्वती शिशु मंदिर योजना के 70 वर्षों की साक्षी है। 1952 में 50 बच्चों और पांच आचार्यों से यह विद्यालय शिक्षा से समाज में वैचारिक परिवर्तन के उद्देश्य से प्रारंभ हुआ था। आज पुरातन संस्कार एवं नवीन ज्ञान से परिपूर्ण राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है। भौगोलिक सामाजिक एवं वैचारिक दृष्टि से कार्य क्षेत्र चिह्नित कर कार्य विस्तार की योजना का निर्माण करना है। जम्मू-कश्मीर, लेह जम्मू-कश्मीर, लेह, लद्दाख, पूर्वोत्तर क्षेत्र आदि को कार्य विस्तार के लिए चिह्नित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पूर्णतः क्रियान्वयन का दायित्व विद्या भारती के कार्यकर्ताओं को दिया गया है। एक स्वस्थ एवं सर्वांगीण विकासयुक्त बालक का निर्माण, विद्यालय की स्थिति, संख्या, गुणवत्ता का विकास कर समर्थ भारत का निर्माण शिक्षा का उद्देश्य है। संस्कार केंद्र, विद्यालय सेवा क्षेत्र के कार्य विस्तार द्वारा छुआछूत जैसी विसंगतियों से भारत को मुक्त कराकर समरस समाज का निर्माण करना है। हम आधारभूत विषयों, पंचकोशात्मक विकास के सुव्यवस्थित कार्य की योजना का निर्माण करेंगे। हमारे पूर्व छात्र बहुत बड़ी शक्ति हैं। वह समाज परिवर्तन में हमारे सहयोगी बनें और सकारात्मक समाज के निर्माण में करें। आज विद्या भारती के विद्यालयों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। दशम एवं द्वादश की बोर्ड परीक्षाओं में प्रदेशों की प्रवीण श्रेष्ठता सूची में हमारे छात्र अपनी मेधा का परचम लहरा रहे हैं। विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैचारिक विमर्श तैयार करने का भी प्रयास कर रही है। हिंदुत्व का विचार केवल भारत का विचार नहीं वरन् यह समस्त विश्व को शांति के निर्माण का मूल मंत्र प्रदान करता है।
देश में शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ी गैर सरकारी संस्था है विद्या भारती
विद्या भारती देश में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली सबसे बड़ी गैर सरकारी संस्था है। विद्या भारती का अपना शोध विभाग है। विद्या भारती शिशुवाटिका, सरस्वती शिशु मंदिर, सरस्वती विद्या मंदिर, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एवं अर्द्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों का संचालन करती है।
तीन पुस्तकों और केंद्रीय संवाद केंद्र के डाक्यूमेंट्स का विमोचन
संस्कृति ज्ञान परियोजना विभाग द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों हिंदुत्व के सूर्य छत्रपति शिवाजी, सत्य के प्रकाशक स्वामी दयानंद सरस्वती जी, तीर्थंकर महावीर का विमोचन किया गया। केंद्रीय संवाद केंद्र दिल्ली द्वारा दो डॉक्यूमेंट ‘शैक्षिक प्रयोग -2023’ और ‘Decision and Implementation to promote Bharatiya Languages’ का निर्माण किया गया है। इन दोनों का विमोचन भी किया गया।
और पढ़ें : संगीत का अंग है घोषः कृपाशंकर शर्मा