कम से कम एक संस्कार केंद्र संचालित करें प्रत्येक विद्यालयः ख्यालीराम
चाईंबासा । पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, चाईबासा में 7-8 सितंबर को दो दिवसीय ए-बी श्रेणी के प्रांतीय प्रधानाचार्यों की बैठक का आयोजन किया गया। क्षेत्रीय संगठन मंत्री उत्तर पूर्व क्षेत्र श्री ख्यालीराम ने शिशु मंदिर योजना को कैसे और अधिक प्रभावी व श्रेष्ठ बनाया जाए, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। विद्या भारती में टोली का निर्माण, प्रधानाचार्यों का चयन, पूर्णकालिकों की संख्या बढ़ाना, प्रवासी कार्यकर्ता का चयन आदि विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय द्वारा कम-से-कम एक संस्कार केन्द्र अवश्य संचालित हो। इससे समाज के प्रति संवेदना जाग्रत होगी और समाज में अच्छा संदेश जाएगा। अपने विद्यालयों में विद्या भारती द्वारा निर्धारित पुस्तकों का उपयोग करें और छात्रों में सद्साहित्य पढ़ने की अभिरुचि जाग्रत करें।
प्रदेश सचिव विद्या विकास समिति झारखंड श्री अजय कुमार तिवारी ने कहा कि अपना विद्यालय अन्य विद्यालयों से श्रेष्ठ कैसे बने, इसके लिए चिन्तन-मनन करने की आवश्यकता है।हम आचार्य राष्ट्रभक्त बनें और राष्ट्रभक्त बनकर देश और समाज का कार्य करें। विद्या भारती के ध्येय मार्ग पर चलें। शिशु बालवाटिका की कक्षा सभी विद्यालयों में संचालित हो। इसके तहत 12 शैक्षिक व्यवस्थाएं हैं जो शिशुओं के लिए काफी उपयोगी हैं। विद्यालय का मैट्रिक व इंटर का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत हो, विद्यालय में पढ़ने वाले भैया जिला व राज्य स्तर की सूची में आएं, ऐसा प्रयास सबका हो। अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हों, इसका प्रयास हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए पठन-पाठन में टी.एल.एम, एल.टी.एम.पी. एवं एल.एम का सर्वाधिक उपयोग हो। संचालन अखिलेश कुमार सिंह क्षेत्रीय प्रचार- प्रसार प्रमुख ने किया।
विद्यालय के अध्यक्ष रामध्यान मिश्र, सचिव तुलसी प्रसाद ठाकुर, कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता, सदस्य अनंत लाल विश्वकर्मा, प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह, पूर्णकालिक नीरज जी, राजेश जी, ओंकार जी, विवेक नयन जी, अखिलेश कुमार, तुलसी प्रसाद, रमेश जी व फणींद्र नाथ झा समेत 103 प्रधानाचार्य उपस्थिति रहे।
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