रोहतक | हरियाणा | भारत युवा शक्ति का देश है। आज का बालक कल की युवा शक्ति बनेगा। बालक का किस प्रकार का विकास होना चाहिये यह पञ्चकोशीय विकास की अवधारणा में अपनाया गया है। विद्या भारती छात्रों के जीवन में विकास लाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण करती रहती है। कक्षा स्तर को और भी प्रभावकारी परिणाम की दृष्टि से विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तथा बालिका शिक्षा की संयुक्त बैठक कायोजन 28 से 30 अक्टूबर 2023 को शिक्षा भारती वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गोहाना रोड, रोहतक में किया गया। बैठक में डा एस. मिश्रा (शिक्षा भारतीय सोसायटी अध्यक्ष), डा० एस के धक्कड जी (मुख्य अतिथि), श्री गोविन्द चन्द्र महन्त (अखिल भारतीय संगठन मंत्री), मा. श्रीराम आरावकर (अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री) सम्मिलित हुए जिसमे 11 क्षेत्रो के सभी प्रान्तों से 170 शिक्षाविदों ने भाग लिया। 28 विषयों पर श्रेष्ठ शिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप करने की योजना है। ECCE का NCF प्रकाशित हो चुका है। पाठ्य पुस्तकें तैयार हो रही है। शेष 3 स्टेज का NCF आने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत केन्द्रित शिक्षा है। पाठ्यक्रम में भारत को स्थान देना ध्येय है।
मा. श्रीराम आरावकर, अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री-विद्या भारती ने बताया कि शिशु शिक्षा हेतु शिशु वाटिका परिषद का गठन किया गया। उसके उपरान्त प्रीपेटरी, मिडिल और सेकण्डरी स्तर की परिषद गठित की गयी है। परिषदों के गठन से पूर्व सर्वे किया गया है जिसमें प्रत्येक प्रान्त में 12-15 विद्यालयों का चयन किया। सर्वे के बिन्दु जैसे – मौखिक, गणित कक्षा, पुस्तकालय, शिक्षकों का ध्यान पाठ्यक्रम पूरा करना है या फिर छात्रों को सिखाना है। उन्होंने बताया कि परिषद का गठन प्रान्त से अखिल भारतीय स्तर तक होना है।
विद्या भारती की इस बैठक में सभी प्रतिभागियों ने सभी विषयों को समझा और कक्षा स्तर तक इसे ले जाएँगे। प्रान्त स्तर पर विषयों के प्रमुख बनाकर कार्य करना होगा। सबसे सुझाव और सहयोग लेकर कार्य आगे बढ़ाएंगे। भारत की ज्ञान परम्परा को समझने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति सशक्त माध्यम है।
विद्या भारती के 12000 से अधिक विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वन करेगे ताकि अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। डा. एस के धक्कड जी, ने अपने विचार ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों? शिक्षण में क्या है? चुनौतियाँ क्या है?’ पर रखते हुए कहा कि 1.05 लाख युवा शिक्षित हो कर प्रतिवर्ष निकलते है। भारत बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमें नई-नई स्किल सीखनी पड़ेगी। एक प्रतिशत भारतीयों को ही नोबल पुरस्कार मिला है जो कि बहुत कम है। समस्याओं पर सोचने की शक्ति युवाओं की देन है।” तकनीकी में AI का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। सभी स्ट्रीम के छात्रों को योग्य बनाना है Hard Skill की विविध प्रकार छात्रों में आने चाहिए।
श्री विपिन राठी, NCT सदस्य ने ‘आचार्य दैनंदिनी एवं पाठयोजना’ पर आये हुए प्रतिभागियों के समक्ष अपने विषय को छ: बिन्दुओं में समझाया।
1. Rootedness in Bharat and Bharatiya knowledge system.
2. (i) Values and Dispositions (ii) Values of the Teachers Principals and system.
3. learning about and caring for the Environment.
4. Inclusion in School
5. Guidance and Counselling in School.
6. Educational Technology.
प्रो. अमरेन्द्र बेहरा ने ICT Based learning (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) के विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा कि शैक्षिक भाषाओं में तकनीकि का सहयोग कैसे कर सकते हैं। तकनीक के माध्यम से 14 भाषाओँ में ट्रांसलेट की सुविधा है।तकनीक के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आने वाली चुनौतियों की सरल किया जा सकता है। तकनीक ही एक ऐसा साधन है जिससे कम समय में अधिक काम किया जा सकता है। छात्र की समझ जिस भाषा में अधिक हो उसी भाषा में शुरुआत करना चाहिए।
श्री देशराज शर्मा, महामंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र, ने (learning (सीखना) Out Comes (क्या सीखा) के विषय को समझाते हुए बताया कि हमारे जीवन में सिखने की क्या आवश्यकता है, व्यवहार में परिवर्तन लाना, अज्ञानता से बाहर आना, अनुकरण से सीखना, क्रिया व उपयोग से सीखना ही सीखना है।
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