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राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन अभ्यास वर्ग

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National Education Policy Implementation Practice Varg

हाथरस । विद्या भारती ब्रज प्रदेश के तत्वावधान में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सिकंदरा राव (हाथरस) में 29 से 30 अप्रैल तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन अभ्यास वर्ग का आयोजन किया गया। वर्ग का उद्घाटन करते हुए विद्या भारती पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री डोमेश्वर साहू ने कहा कि विद्या के प्रयोग में ज्ञान के साथ सामाजिक व राष्ट्रीय दायित्व बोध बच्चों में हो, इसके लिए विद्या भारती प्रयोग भी करती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आवासीय विद्यालयों में भोजन की थाली के साथ गिलास नहीं रखते। यह जल संरक्षण हेतु एक प्रयोग है। पर्यावरण अब राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय विषय बन चुका है। उन्होंने परिवार प्रबोधन, वृक्षारोपण एवं आधारभूत विषयों पर भी प्रकाश डाला।

प्रशिक्षण संयोजक श्री विपिन राठी ने परिणाम जन्य अधिगम, योग्यता आधारित अधिगम, अनुभवजन्य अधिगम, आनंदपूर्ण अधिगम, खिलौना आधारित अधिगम एवं अधिगम सामग्री की जानकारी दी। शिशु शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश के निरीक्षक श्री राम किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि हमें बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करके भारतीय चिंतन और भारतीय ज्ञान परंपरा को विषय के साथ जोड़ना चाहिए। सह प्रांत शिक्षण प्रमुख श्री शशांक तिवारी ने जिज्ञासा समाधान में करणीय कार्यों की जानकारी दी।

एलए विश्वविद्यालय मथुरा के निदेशक एवं प्रो वाइस चांसलर डॉ. अनूप गुप्ता ने बोध कथाओं के माध्यम से विषय को प्रस्तुत करते हुए कहा कि बच्चे कभी वह नहीं करते जो आप कहते हैं, जबकि वे वह करते हैं जो वह आपको करते हुए देखते हैं।उन्होंने कहा कि मास्टर ट्रेनर का कार्य है दूसरे व्यक्ति को समझाना। विद्या भारती ब्रज प्रदेश के शिक्षण-प्रशिक्षण प्रमुख डॉ. अजय शर्मा ने विषय की प्रस्ताविकी एवं प्रशिक्षण योजना का प्रस्तुतीकरण किया।

भारतीय शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश के प्रदेश निरीक्षक श्री होड़िल सिंह ने व्यावसायिक शिक्षा एवं सामाजिक सरोकार को विद्या भारती के लक्ष्य से जोड़ते हुए कहा कि विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करेगी। प्रधानाचार्य एवं समन्वयक सीबीएसई डॉ. अनिल यदुवंशी ने School Based Assessment (SBA 360)° के बारे में जानकारी दी। प्रांतीय संगठन मंत्री श्री हरी शंकर ने कहा कि विषय को बहुत सरल बनाना है। उन्होंने स्थानीय भाषाओं के ज्ञान पर जोर दिया और कहा कि टोली में ऐसे लोग जुड़ें कि विचार का प्रवाह न रुके।

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