कुरुक्षेत्र । गीता निकेतन आवासीय विद्यालय विद्यार्थियों को नवाचार और प्रयोग आधारित सरंचनात्मक वातावरण प्रदान कर आत्म अन्वेषण के लिए प्रेरित करता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली प्रशिक्षण माध्यमों से अर्जित ज्ञान प्रशिक्षु के ज्ञान्नेद्रीय विकास में जीवत पर्यन्त विशेष महत्व रखता है। भारतीय शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार ज्ञान्नेद्रिय जनित ज्ञान व्यावहारिक और अनुभव से युक्त होता है। गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली में बालक को जीवन जीने की कला सिखाने हेतु क्रिया आधारित और अनुभव आधारित शिक्षण पद्धति पर बाल दिया जाता था। वेदों और उपनिषदों में भी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालक को जीवनोपयोगी बनाता है ताकि वह स्वयं, परिवार और समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन भली भांति से कर सके।
ऋग्वेद के अनुसार शिक्षा वह साधन है जिसके द्वारा विद्यार्थी अपने आन्तरिक और बाहय पक्षों के बारे में जानता-समझता है। विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों का उद्देश्य चलाई गई परंपरागत, शिक्षक केंद्रित और रट्टा लगाने पर आधारित शिक्षा पद्धति को समाप्त कर बाल केंद्रित क्रिया आधारित शिक्षा पद्धति द्वारा भारतीय शिक्षा का प्रतिमान खड़ा करना हैं। हमारा विश्वास है कि शैक्षिक उत्कृष्टता विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, ईमानदारी, सहयोग और दयालुता जैसे गुणों के विकास से ही प्राप्त की जा सकती है। विद्या भारती द्वारा बनाई गई नीतियां एवं योजनाओं का उद्देश्य विद्याथियों के व्यक्तित्व का विकास है जो उनमें चारित्रिक गुण, समूहकार्य की समझ, समाज से जुडाव, नेत्रत्व क्षमता मानव एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता जैसे व्यक्तित्व के गुण विकसित होने लगता है । इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय विद्यार्थियों को नवाचार और प्रयोगाधारित सरंचनात्मक वातावरण प्रदान करता है और उन्हें उनका आत्म अन्वेषण करने हेतु प्रेरित करता है।-
- शैक्षिक उत्कृष्टता के साथ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए डिबेट, भाषण, प्रश्नमंच, रचनात्मक कक्षा-कक्ष प्रतियोगिताएं, जस्ट ए मिनट गतिविधि, माइम, कोरियोग्राफी, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन लेखन, फोटोग्राफी, मॉक पार्लियामेंट आदि का आयोजन किया जाता है।
- वाणिज्य एक जीवंत और व्यावहारिक विषय है जो दैनिक घटनाओं से जोड़ता है।
- इसे और रुचिकर बनाने के लिए प्रत्येक सिद्धांत को क्रिया आधारित तरीके से जोड़कर समझाया जाता है।
- विद्यार्थी कक्षा-कक्ष में सिखाए गए नियमों को स्वयं करके सीखें, इसके लिए व्यापार मेलों का आयोजन किया जाता है।
- विद्यार्थी स्वयं अपने उत्पाद का डिजाइन और नाम तक तय करते हैं।
- विद्यार्थी औद्योगिक क्षेत्र, डाकघर, मॉल्स, डिपार्मेंटल स्टोर्स आदि के भ्रमण से व्यवहारिक पक्ष सीखकर उसका प्रयोग प्रोजेक्ट बनाने में करते हैं।
- माक प्रोजेक्ट के माध्यम से विद्यार्थी पांच एम यानि मनी, मैनपावर, मैटिरियल, मशीन और मेथड के बारे में सीखते हैं।
- मॉक स्टॉक एक्सचेंज और मॉक ए.जी.एम. जैसे कार्यक्रमों से बच्चों की औद्योगिक समझ व सैद्धांतिक ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
- आनंददायी अधिगम के लिए, कॉमर्स फेस्ट और कम्फेस्टो जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
- इन कार्यक्रमों से लाभ के रूप में अर्जित धनराशि का कुछ हिस्सा विद्यार्थी सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में दान करते हैं।
- काम का बंटवारा, निर्देशन की समरूपता तथा विकेंद्रीयकरण जैसे प्रबंध सिद्धांत न केवल कक्षा कक्ष में बताए जाते हैं, बल्कि नवाचार अधिगम विधियों से सिखाए भी जाते हैं।
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