महाकौशल | हम सभी कार्यकर्ता हैं और समाज के सामने संगठनात्मक रूप से उपस्थित रहकर अपने कार्य का संपादन करते हैं। हमारी कार्य पद्धति में अधिकारी भाव कहीं नहीं है इसीलिए अधिकारों से अधिक कर्तव्य के प्रति जागरूकता आवश्यक है। विद्या भारती शिक्षण संस्थान हिंदू जीवन दर्शन पर आधारित संगठन है और व्यक्ति के पूर्ण विकास में सतत प्रयत्नशील है।
कार्य में सुविधा की दृष्टि से विद्या भारती ने केंद्रीय विषय आधारभूत विषय और अपने आयाम निर्धारित किए हैं जिनके माध्यम से समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में न केवल कार्य करते हैं बल्कि उन विषयों के माध्यम से समाज का बहुमुखी विकास भी होता है इसलिए गुणवत्ता विकास की दृष्टि से हम अपने विषय के तज्ञ बनें, संबंधित विषय के ज्ञान के अंतिम बिंदु तक पहुंचने का प्रयास करें और यह प्रयास तभी सफल होगा जब हम अध्ययन करेंगे और विषय की विशेष योग्यता प्राप्त करने के लिए पूरे मनोयोग से सक्रिय होंगे, और एक बात का विशेष स्मरण रखना होगा कि हमें एक लक्ष्य दिया गया है। एक उद्देश्य पूर्ण कार्य हमारा है
अतः उद्देश्य से भटकाव ना हो तभी हम लक्ष्य की सार्थकता सिद्ध कर सकेंगे, हमारे जीवन में स्वाध्याय की महती आवश्यकता है अस्तु सभी प्रकार के साहित्य का अध्ययन करना चाहिए और प्रतिदिन कुछ नया जानने की भी कोशिश करना चाहिए। कार्य के लिए कार्यकर्ता का नियोजन और उस कार्य के लिए समय का नियोजन ही कार्य पूर्णता का आवश्यक घटक है।
उक्त उद्गार विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री श्री ब्रह्माराव ने विद्या भारती महाकौशल प्रांत द्वारा नई बस्ती कटनी में आयोजित एक दिवसीय जिला टोली बैठक के अवसर पर व्यक्त किया, बैठक में प्रांत के 21 जिलों के 99 कार्यकर्ताओं ने सहभागिता कर विद्या भारती के कार्य में निरंतरता और विस्तार हेतु पाथेय प्राप्त किया।
इस अवसर पर विद्या भारती मध्य क्षेत्र के सह संगठन मंत्री माननीय डॉ आनंद, प्रांत संगठन मंत्री श्री अमितदवे विद्या भारती मध्य क्षेत्र के कोषाध्यक्ष श्री जितेंद्र परिहार, अध्यक्ष श्री बासंतक मणि शर्मा प्रादेशिक सचिव डॉ नरेंद्र कोष्टी, डा आदित्य मिश्रा सहित विद्या भारती परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
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